Sunday 12 April 2020

भारत का इतिहास :- महमूद गज़नी

महमूद गज़नी

> अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार गजनी साम्राज्य का संस्थापक था ।
> अलप्तगीन का गुलाम तथा दामाद सुबुक्तगीन था।
> महमूद गज़नी सुबुक्तगीन का पुत्र था।
> अपने पिता के काल में गज़नी खुरासान का शासक था।
> महमूद गज़नी 27 वर्ष की अवस्था में 997 ई० में गद्दी पर बैठा।
> बगदाद का खलीफा अल-आदिर बिल्लाह ने महमूद गज़नी के पद को मान्यता प्रदान करते हुए उसे 'यमीन-उद्-दौला' तथा 'यमीन-ऊल-मिल्लाह' की उपाधि दी।
> महमूद गज़नी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया।
> महमूद गज़नी ने भारत पर पहला आक्रमण 1001 ई० में किया था। यह आक्रमण शाही राजा जयपाल के विरुद्ध था। इसमें जयपाल की पराजय हुई थी।
> महमूद गज़नी का 1008 ई० में नगरकोट के विरूद्ध हमले को मूर्तिवाद के विरुद्ध पहली महत्त्वपूर्ण जीत बतायी जाती है।
> महमूद गज़नी ने थानेसर के चक्रस्वामिन की कास्य निर्मित आदमकद प्रतिमा को गज़नी भेजकर रंगभूमि में रखवाया।
> महमूद गज़नी का सबसे चर्चित आक्रमण 1024 ई० में सोमनाथ मंदिर (सौराष्ट्र) पर हुआ। इस मंदिर की लूट में उसे करीब 20 लाख दीनार की संपत्ति हाथ लगी। सोमनाथ की रक्षा में सहायता करने के कारण अन्हिलवाड़ा के शासक पर महमूद ने आक्रमण किया।
> सोमनाथ मंदिर लूट कर ले जाने के क्रम में महमूद पर जाटों ने आक्रमण किया था और कुछ सम्पत्ति लूट ली थी।
> महमूद गज़नी का अन्तिम भारतीय आक्रमण 1027 ई० में जाटों के विरुद्ध था।
> महमूद गजनी की मृत्यु 1030 ई० में हो गयी।
> अलवरूनी, फिरदौसी, उत्वी तथा फरूखी महमूद गज़नी के दरबार में रहते थे ।

अन्य ब्लॉग लिंक :- भारत का इतिहास :- मध्यकालीन भारत और मुहम्मद गौरी

No comments:

Post a Comment