Sunday 12 April 2020

भारत का इतिहास :- सल्तनत काल

गुलाम वंश

> गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई० में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था । वह गौरी का गुलाम था।
> कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून, 1206 ई० को किया था ।
> कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में बनायी थी।
> कुतुबमीनार की नींव कुतबुद्दीन ऐबक ने डाली थी।
> दिल्ली का कुवत-उल-इस्लाम मस्जिद एवं अजमेर का ढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण ऐबक ने कस्वाया था ।
> कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्श (लाखों का दान देनेवाला) भी कहा जाता था।
> प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी था
> ऐवक की मृत्यु 1210 ई० में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हो गयी। इसे लाहौर में दफनाया गया।
> ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ जिसने सिर्फ आठ महीनों तक शासन किया।
> आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई० में दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
> इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्वरी तुर्क था, जो ऐबक का गुलाम एवं दामाद था। ऐब्क की मृत्यु के समय
वह बंदायूँ का गवर्नर था।
> इल्तुतमिश लाहौर से राजधानी को स्थानान्तरित करके दिल्ली लाया।
> इल्तुतमिश पहला शासक था, जिसने 1229 ई० में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त थी

इल्तुतमिश द्वारा किए गए महत्त्वपूर्ण कार्य

1. कुतुबमीनार के निर्माण को पूर्ण करवाया।
2. सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किए । (चाँदी का टंका एवं ताँबा का जीतल)
3. इक्ता प्रणाली चलाई ।
4. चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया, जो तुक्कान-ए-चिहलगानी के नाम से जाना गया।
5. सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया ।

> इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रुकनद्दीन फिरोज गही पर बैठा, वह एक अयोग्य शासक था। इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकान छाई रही।
> शाह तुरकान के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरों ने रुकनुद्दीन को हटाकर रज़िया को सिंहासन पर आसीन किया इस प्रकार रजिया बेगम प्रबम मुस्लिम महिका थी, जिसने शासन की बागडोर सँभाली ।
> रजिया ने पर्दाप्रथा का त्यागकर तथा पुरुषों की तरह चोगा (काबा) एवं कुछाह (टोपी) पहनकर राजदस्बार में खुले मुँह से जाने रमी।
> रज़िया ने मलिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-अखूर (घोड़े का सरदार) नियुक्त किया ।
> गैर तुर्को को सामंत बनाने के रजिया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरूद्ध हो गए और उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुईजूददीन बहरामशाह को बैठा दिया।
> रज़िया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई इससे शादी करने के बाद रजिया ने पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन वह असफल रही।
> रज़िया की हत्या 13 अक्टूबर, 1240 ई० को डाकूओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई।
> बहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई 1242 ई० में कर दी गई।
> बहराम शाह के बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह 1242 ई০ में बना।
> बलबन ने पडयंत्र के द्वारा 12416 ई० में अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिया।
> नासिरुद्दीन महमूद ऐसा सुल्तान था जो टोपी सीकर अपना जीवन निर्वाह करता या।
> बलबन ने अपनी पुर्नी का विवाह नासिरुद्दीन महमूद के साथ किया था।।
> बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था। वह इल्तुतमिश का गुलाम था।
> तुर्कान-ए-चिहलगानी का विनाश बलबन ने किया था।
> बलबन 1266 ई० में गियासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। यह मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा ।
> राजदरबार में सिजदा एवं पैबोस प्रथा की शुरुआत बलबन ने की थी।
> बलबन ने फारसी रीति-रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारंभ करवाया ।
> अपने विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर 'लौह एवं रक्त' की नीति का पालन किया।
> नासिरुद्दीन महमूद ने बलबन को उलूग खाँ की उपाधि प्रदान की ।

> बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कविं अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे ।

अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था । उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई० में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सुफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे। इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आबिष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है।

> गुलाम वंश का अंतिम शासक शम्मुद्दीन कैमुर्स था ।

खिलजी बंश : 1290 से 1320 ई०

> गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून 1290 ई० को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश
की स्थापना की।
> इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया।
> जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई० में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर
(इलाहाबाद) में क
> 22 अक्टूबर, 1296 ई० में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना।
> अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था।
> अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद देतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी ।
> घोड़ा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने की ।
> अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1/2 भाग कर दिया।
> इसने खम्स (लूट का धन) में सुल्तान का हिस्सा 1/4 भाग के स्थान पर 3/4 भाग कर दिया।
> इसने व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले-व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया। इसने अपने शासनकाल में 'मूल्य नियंत्रण प्रणाली' को दृढ़ता से लागू किया।
> दक्षिण भारत की विजय के लिए अलाउद्दीन ने मलिक काफूर को भेजा।
> जमैयत खाना मस्जिद, अलाई दरवाजा, सीरी का किला तथा हजार खम्भा महल का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
> दैवी अधिकार के सिद्धान्त को अलाउद्दीन ने चलाया था।
> सिकन्दर-ए-सानी की उपाधि से स्वयं को अलाउद्दीन खिलजी ने विभूषित किया।
> अलाउद्दीन ने मलिक याकूब को दीवान-ए-रियासत नियुक्त किया था ।
> अलाउद्दीन द्वारा नियुक्त परवाना-नवीस नामक अधिकारी वस्तुओं की परमिट जारी करता था।
> शहना-ए-मंडी-यहाँ खाद्यान्नों को बिक्री हेतु लाया जाता था। सराए-ए-अदल-यहाँ वस्त्र, शक्कर, जड़ी-बूटी, मेवा, दीपक का तेल एवं अन्य निर्मित वस्तुएँ बिकने के लिए आती थीं।

बाजार-नियंत्रण करने के लिए अलांउद्दीन खिलजीद्दीन द्वारा बनाए जाने बाले नवीन पद (क्रमानुसार)
दीवान-ए-रियसत : यह व्यापारियों पर नियंत्रण को रखता था। यह बाजार-नियंत्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था।
शहना-ए-मंडी : प्रत्येक बाजार में बाजार का अधीक्षक ।
बरीद : बाजार के अन्दर घूमकर बाजार का निरीक्षण करता था।
मुनहियान व गुप्तचर : गुप्त सूचना प्राप्त करता था ।

> अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी जियाउददीन वरनी की कृति तारीखे फिरोजशाही से मिलती है। 
> खजाइनुल फतूरु अमीर खुसरो, रिहला इच्नवतुता एवं एतृहस्मवातीन इसीमी की कृति है।
> मूल्य नियंत्रण को सफल दनाने में मूहतमिव (सेंसर) एवं नाजिर ( नाप तौख अथिकारी) [की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
* राजस्व सुधारों के अन्तर्गत अलाउदीन ने सर्वप्रथम मिल्क, इनाम एवं वक्फ के अन्तर्गत दी गयी भूमि को वापस केकर उसे खातलसा भूमि में बदल दिया।

> अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लगाए जानेवाले दो नवीन कर थे
(1) चराई कर पशुओं पर लगाया जाता, (2) गड़ी कर : परों एवं झोपड़ी पर लगाया जाता था । 

> अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 5 जनवरी, 1316 ई० को हो गयी।
> कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी 1316ई० को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। इसे नम्न स्त्री पुरुष की संगत पसन्द थी।
> मुवारक खिलजी कभी-कभी राजदरबार में स्त्रियों का वस्त्र पहनकर आ जाता था। 
> वरनी के अनुसार मुबारक कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौडा करता था । 
> मुवारक खौँ ने खलिफा की उपाधि धारण की थी।
> मुबारक के वजीर खुशरों खाँ ने 15 अप्रैल, 1320 ई० को इसकी हस्या कर दी और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। 
> खुशरों खाँ ने पैगम्बर के सेनापति की उपाधि धारण की।

तुगलक बंश : 1320-1398 ई०

> 5 सितम्बर, 1320 ई० को खुशरों खाँ को पराजित करके गाजी मलिक या तुगतक गाजी गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितम्बवर, 1320 ई० को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
> गयासुद्दीन तुगलक ने करीब 29 बार मंगोल आक्रमण को विफल किया।
> गयासुद्दीन ने अलाउद्दीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया।
> इसने सिंचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था।
> गयासुद्दीन तुगक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया। रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ। इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है।
> गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई० में बंगाल के अभियान से लीटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर हो गयी।
> गयासुद्दीन के बाद जूना खो मुहम्मद विन तुगलक के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
> मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुगलक सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था।
> महम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर कृत्यों एवं दूसरे के सुख दुख के प्रति उपेक्षा भाव रखने के कारण स्वप्नशील. पागल एवं रक्तपिपासु कहा गया।

मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा क्रियान्वित चार योजनाएँ क्रमशः

1. दोआब क्षेत्र में कर-वृद्धि, (1326-1327 ई०)।
2. राजधानी-परिवर्तन (1326-27 ई०) ।
3. सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1329-30 ई०)।
4. खुरासन एवं कराचिल का अभियान ।

> मुहम्मद विन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए 'अमीर ए-कोही नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की।
> मुहम्मद विन तुगलक न अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि में स्थानान्तरित की और इसका नाम दौलताबाद रखा
> सांकेतिक मुद्रा के अन्तर्गत मुहम्मद बिन तुगलक ने पीतल (फरिश्ता के अनुसार), ताँबा बरनी के अनुसार) धातुओं के सिक्के चलवाए, जिनका मूल्य चाँदी के रुपए टंका के बराबर होता था।
> अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता लगभग 1333 ई० में भारत आया। सुल्तान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया। 1342 ई० में सुल्तान ने इसे अपने राजदूत के रूप में थीन भेजा।
> इब्नबतूता की पुस्तक रेहला में मुहम्मद तुगळक के समय की यटनाओं का यर्णन है। इसने अपनी पुस्तक में विदेशी व्यापारियों के आवागमन, डाक चौकियों की स्थापना यानि डाक व्यवस्था एवं गुप्तचर व्यवस्था के बारे में लिखा है।
> मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 20 मार्च, 1351 ई० को सिन्ध जाते समय यट्टा के निकट गोडाल में हो गयी।
> मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दक्षिण में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ई० में स्वतंत्र राज्य विजयनगर की स्थापना की
> महाराष्ट्र में अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1347 ई० में स्वतंत्र बहमनी राज्य की स्थापना की।
> मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बरनी लिखता है, "अंततः लोगों को उससे मुक्ति मिली और उसे लोगों से"।
> मुहम्मद विन तुगलक शेख अलाउद्दीन का शिष्य था। वह सल्तनत का पहला शासक था, जो अजमेर शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सालार मसूद गारजी के
मकबरे में गया
> मुहम्मद विन तुगलक ने बदायूँ में मीरन मुलहीम, दिल्ली में शेख निज़ामुद्दीन औडिया, मुल्तान में शेख रुकनुद्दीन, अजुधन में शेख मुल्तान आदि संतों की कब्र पर मकबरे बनवाए।
> फिरोज तुगलक का राज्याभिषेक थट्टा के नजदीक 20 मार्च, 1351 ई० को हुआ। पुनः फिरोज का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 ई० को हुआ। खलीफा द्वारा इसे कासिम अमीर उल मोममीन की उपाधि दी गई।
> राजस्व व्यवस्था के अन्तर्गत फिरोज ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल चार कर-खराज (लगान), खुम्स (युद्ध में लूट का माल). जजिया एवं जकात
को वसूल करने का आदेश दिया।
> फिरोज तुगलक ब्राह्मणों पर जज़िया लागू करने वाला पहला मुसलमान शासक था।
> फिरोज तुगलक ने एक नया कर सिंचाई कर भी लगाया, जो उपज का 1/10 भाग था।
> फिरोज तुगलक ने 5 बड़ी नहरों का निर्माण करवाया।
> फिरोज तुगलक ने 300 नये नगरों की स्थापना की। इनमें हिसार फिरोजाबाद (दिल्ली) फतेहाबाद, जीनपुर, फिरोजपुर प्रमुख हैं।
> इसके शासनकाल में खिज्ाबाद /टोपरा गाँव)एवं मेरठ से अशोक के दो स्तम्भों को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया।
> सुल्तान फिरोज तुगलक ने अनाथ मुस्लिम महिलाओं, विधवाओं एवं लड़कियों की सहायता के लिए एक नए विभाग दीवान-ए-खैरात की स्थापना की।
> सल्तनतकालीन सुल्तानों के शासनकाल में सबसे अधिक दासों की संख्या (करीब-1,80,000) फिरोज तुगलक के समय थी।
> दासों की देखभाल के लिए फिरोज ने एक नए विभाग दीवान ए बंदगान की स्थापना की।
> इसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया।
> इसने अपनी आत्मकथा फतूहात-ए-फिरोजशाही की रचना की।
इसने जियाउद्दीन बरनी एवं शम्स-ए-शिराज अरफीफ को अपना संरक्षण प्रदान किया।
> इसने ज्वालामुखी मंदिर के पुस्तकालय से लूटे गए 1300 ग्रंथों में से कुछ को फारसी में विद्वान अपाउद्दीन द्वारा 'दलायते-फिरोजशाही' नाम से अनुवाद करवाया ।
> इसने चाँदी एवं तौँबे के मिश्रण से निर्मित सिक्के भारी संख्या में जारी करवाए. जिसे अद्धा एवं विख कहा जाता था।
> फिरोज तुगलक की मृत्यु सितम्बर 1388 ई० में हो गयी।
> फिरोज काल में निर्मित खान-ए-जाहाँ तेलगानी के मकबरा की तुलना जैरुसऊम में नि्मित उमर के मस्जिद से की जाती है।

> सुल्तान फिरोज तुगलक ने दिल्ली में कोटला फिरोजशाह दुर्ग का निर्माण करवाया ।
> तुगलक वंश का अंतिम शासक नासिरुद्दीन महमूद तुगलक था। इसका शासन दिल्ली से पालम तक ही रह गया था।
> तैमूरलंग ने सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद तुगलक के समय 1398 में दिल्ली पर आक्रमण किया।
> नासिरुद्दीन के समय में ही मलिकुशर्शक (पूर्वाधिपति) की उपाधि धारण कर एक हिजड़ा मलिक सरवर ने जौनपुर में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।

सैय्यद वंश : 1414 से 1451 ई०

> सैय्यद वंश का संस्थापक था-खिज खाँ।
> इसने सुल्तान की उपाधि न धारण कर अपने को रैयत-ए-आला की उपाधि से ही खुश रखा।
> खिज्र खाँ तैमूरलंग का सेनापति था। भारत से लौटते समय तैमूरलेग ने खिज्न खाँ को मुल्तान, लाहौर एवं दिपालपुर का शासक नियुक्त किया।
> खिज खाँ नियमित रूप से तैमूर के पुत्र शाहरुख को कर भेजा करता था।
> खिज्र खाँ की मृत्यु 20 मई, 1421 ई० में हो गयी।
> खिज्र खाँ के पुत्र मुबारक खाँ ने शाह की उपाधि धारण की थी।
> याहिया बिन अहमद सरहिन्दी को मुबारक शाह का संरक्षण प्राप्त था। इसकी पुस्तक तारीख-ए-मुबारक शाही में सैय्यद वंश के विषय में जानकारी मिलती है।
> यमुना के किनारे मुबारकावाद की स्थापना मुबारक शाह ने की थी।
> सैय्यद वंश का अंतिम सुल्तान अलाउद्दीन आलम शाह था ।
> सैय्यद वंश का शासन करीब 37 वर्षों तक रहा।

लोदी बंश : 1451 से 1526 ई०

> छोदी वंश का संस्थापक वहलीड लोदी था। वह 19 अप्रैल, 1451 ई० को बहढोल शाहगाजी की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
> दिल्ली पर प्रथम अफगान राज्य की स्थापना का श्रेय बहोल छोडी को दिया जाता है।
> बलहोल लोदी ने बहलोऊ सिक्क का प्रचलन करवाया।
> বह अपने सरदारों को 'मकसद-ए.-अली' कहकर पुकारता था।
> বह अपने सरदारों के खड़े रहने पर स्वयं भी खड़ा रहता था।
> वहलोल लोदी का पुत्र निजाम खाँ 17 जुलाई, 1489 ई० में 'सुल्तान सिकन्दर शाह' की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
> 1504 ई० में सिकन्दर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की।
> भूमि के लिए मापन के प्रामाणिक पैमाना गजे सिकन्दरी का प्रचलन सिकन्दर छोदी ने किया।
> गुलरुखी शीर्षक से फारसी कविताएँ लिखने वाला सुल्तान सिकन्दर छोदी था।
> सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी नई राजधानी बनाया इसके आदेश पर संस्कृत के एक आयुर्वेद ग्रंथ का फारसी में फरहंगे सिकन्दरी के नाम से अनुवाद हुआ। इसने नगरकोट के ज्चालामुखी मंदिर की मृर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को कसाइयों को मांर तीकने के लिए दे दिया था। इससे मुसलमानों को ताजिया निकाउने एवं मुसलमान स्त्रियों के पीरों तथा संद्रा के मजार पर जाने पर प्रतिबंध छगा दिया।
> गले की बीमारी के कारण सिकन्दर लोदी की मृत्यु 21 नवम्बर, 1517 ई० को हो गयी इसी दिन इसका पुत्र इब्राहिम इद्राहिम शाठ' की उपाधि से आगरा के सिंहासन पर बैठा।
> 21 अप्रैल, 1526 ई० को पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी बाबर से हार गया इस
> बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए निमंत्रण पंजाब के शासक दीलत खा लोदी एवं इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खों ने दिया या।
> मोठ की मस्जिद का निर्माण सिकन्दर लोदी के बरजीर द्वारा करवाया गया था।

सल्तनतकालीन शासन-व्यवस्था :

> केन्द्रीय प्रशासन का मुखिया-सुल्तान
> बलबन एवं अलाउद्दीन के समय अमीर प्रभावहीन हो गए ।
> अमीरों का महत्त्व चरमोत्कर्ष पर था-लोदी वंश के शासनकाल में।
> सल्तनतकाल में मंत्रिपरिषद को मजलिस-ए-खलवत कहा गया।
> मजलिस-ए-खास में मजलिस-ए-खलक्त की बैठक होती थी।
> बार-ए-खास : इसमें सुल्तान सभी दरबारियों, खानों, अमीरों, मालिकों और अन्य रईसों को बुलात्ता था।
> बार-ए-आजम : सुल्तान राजकीय कार्यों का अंधिकांश भाग पूरा करता था।

मंत्री एवं उससे संबंधित विभाग

1. वजीर (प्रधानमंत्री): राजस्व विभाग का प्रमुख ।
2. मुशरिफ-ए-मुमालिक (महालेखाकार): प्रांतों एवं अन्य विभागों से प्राप्त आय एवं व्यय का लेखा-जोखा ।
3. मजमुआदर : उधार दिए गए धन का हिसाब रखना।
4. खजीन : कोषाध्यक्ष ।
5. आरिज-ए-मुमालिकः दीवान-ए-अर्ज अथवा सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी।

विभाग बनाने वाला सुल्तान
दीवान-ए-मुस्तखराज (वित्त विभाग) अलाउद्दीन खिलजी
दीवान-ए-कोही (कृषि विभाग) मुहम्मद बिनतुगलक
दीवान-ए-अर्ज (सैन्यविभाग) बलबन
दीवान-ए-वंदगान फिरोजशाह तुगलक
दीवान-ए-खैरात फिरोजशाह तुगलक
दीवान-ए-इस्तिहाक फिरोजशाह तुगलक

6. सद्र-उस-सुदूर : धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख।
7. काजी-उलू-कजात : सुल्तान के बाद न्याय का सर्वोच्च अधिकारी
8. बरीद-ए-मुमालिक : गुप्तचर विभाग का प्रमुख अधिकारी
9. वकील-ए-दर : सुल्तान की ब्यक्तिगत सेवाओं की देखभाल करता था
10. दीवान-ए-खैरात : दान विभाग।
11. दीवान-ए-बंदगान : दास विभाग।
12. दीवान-ए-इस्तिहाक : पेंशन विभाग।

> दिल्ली सल्तनत अनेक प्रांतों में बँटा हुआ था, जिसे इक्ता या सुबा कहा जाता था। यहाँ का शासन नायब या वली या मुक्ति द्वारा संचालित होता था।
> इक्ताओं को शिको (जिलों) में विभाजित किया गया था। जहाँ का प्रमुख अधिकारी शिकदार होता था जो एक सैनिक अधिकारी था।
> शिकों को परगनों में विभाजित किया गया था । आमिल परगने का मुख्य अधिकारी था और मुशरिफ लगान को निश्चित करने वाला अधिकारी ।
> एक शहर या 100 गाँवों के शासन की देख-रेख अमीर-ए-सदा नामक अधिकारी करता था ।
> प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम होता था।
> सुल्तान की स्थायी सेना को खासखेल नाम दिया गया था
> मंगोल सेना के वर्गीकरण की दशमलव प्रणली को सल्तनतकालीन सैन्य व्यवस्था का आधार बनाया गया था।

राजस्व (कर) व्यवस्था

उश्रः मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर ।
खराज : गैर मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर ।
जकात : मुसलमानों पर धार्मिक कर (सम्पत्ति का 40वाँ हिस्सा)
जजिया : गैर मुसलमानों पर धार्मिक कर।
नोट : खम्स : यह लूटे हुए धन, खानों अथवा भूमि में गढ़े हुए खजानों से प्राप्त सम्पत्ति का 1/5 भाग था जिसपर सुल्तान का अधिकार था तथा शेष 4/5 भाग पर उसके सैनिकों, अथवा खजाने को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का अधिकार होता था, परंतु फिसोज तुगलक को छोड़कर अन्य सभी शासकों ने 4/5 हिस्सा स्वयं अपने लिए रखा। सुल्तान सिकन्दर लोदी ने गढ़े हुए खजानों में से कोई हिस्सा नहीं लिया।

> सल्तनत काल में बारूद की सहायता से गोला फेंकने वाली मशीन को 'मंगलीक' तथा 'अरदि' कहा जाता था।
> अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता प्रथा को समाप्त किया था।
> इक्ता प्रथा की दुबारा शुरुआत फिरोज तुगलक ने की थी।
> सल्तनत काल में अच्छी नस्ल के घोड़े तुर्की, अरब एवं रूस से मैँगाए जाते थे। हाथी मुख्यतः बंगाल से मँगाए जाते थे
> सल्तनतकालीन कानून शरीयत, कुरान एवं हृदीस पर आधारित था
> मुस्लिम कानून के चार महत्त्वपूर्ण स्रोत थे-कुरान, हरदीस, इजमा एवं कयास ।
> सुल्तान सप्ताह में दो बार दरबार में न्याय करने के लिए उपस्थित होता था।
> सल्तनत काल में लगान निर्धारित करने की मिश्रित प्रणाली को मुक्ताई कहा गया है।
> भूमि की नाप-जोख करने के बाद क्षेत्रफल के आधार पर लगान का निर्धारण मसाहत कहलाता  था। इसकी शुरुआत अलाउद्दीन ने की।
> पूर्णतः केन्द्र के नियंत्रण में रहने वाली भूमि खालसा भूमि कहलाती थी ।
> अलाउद्दीन ने दान दी गई अधिकांश भूमि को छीनकर खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया।
> देवल सल्तनत काल में अन्तरराष्ट्रीय बन्दरगाह के रूप में प्रसिद्ध था।


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