Sunday 12 April 2020

भारत का इतिहास :- राजपूत राजवंशो की उत्पत्ति

गुर्जर प्रतिहार वंश

> मालवा का शासक नागभट्ट प्रथम गुर्णर प्रतिहार वश का सस्थापक था।
> नागभट्ट-II को राष्ट्रकूट सम्राट गोविन्द-III ने हराया था।
> प्रतिहार यंश का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतापी राजा मिहिरभोज था।
> मिहिरभोज ने अपनी राजधानी कन्नौज में बनाई ची। वह विष्णुभक्त था, उसने दिष्णु के सम्मान में आदि वाराह की उपाधि ग्रहण की।
> राजशेखर प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल के दरबार में रहते थे।
> इस वंश का अंतिम राजा यशपाल (1036 ई०) था।
> दित्ली नगर की स्थापना तोमर नरेश अनगपाल ने ग्यारहवीं सदी के मथ्य में की।

गहड़बाल (राठीर) राजवंश

> गहड़वाल वंश का संस्थापक चन्द्रदेव था। इसकी राजधानी वाराणसी (काशी) थी।
> इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा गोविन्दचन्द्र था । इसका मंत्री लक्ष्मीधर शास्त्रों का प्रकाण्ड पंडित था, जिसने कृत्यकल्पतरु नामक ग्रंथ लिखा था।
> गोविन्दचंद्र की एक रानी कुमारदेवी ने सारताथ में धर्मचक्र-जिन विहार बनवायी।
> पृथ्वीराज-III ने स्वयंवर से जयचन्द की पुत्री संयोगिता का अपहरण कर लिया था।
> इस वंश का अतिम शासक जयचन्द था, जिसे गोरी ने 1194 ई० के चन्दावर युद्ध में मार डाला।


चाहमान या चौहान बंश

> चौहान वश का संस्थापक बासुदेव था। इस वंश की प्रारंभिक राजधानी अहिच्छत्र थी बाद में अजयराज द्वितीय ने अजमेर नगर की स्थापना की और उसे राजधानी वनाया।
> इस वंश का सबसे शक्तिशाली शासक अणोराज के पुत्र विग्रहराज चतुर्थ वीसलदेव (1153-1163 ई०) हुआ, जिसने हरिकेलि नामक संस्कृत नाटक की रचना की।
> सोमदेव विग्रहराज-IV के राजकवि थे। इन्होंने ललित विग्रहराज नामक नाटक लिखा।
> अढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद शुरू में विग्रहराज-IV द्वारा निर्मित एक विद्यालय था।
> पृथ्वीराज-III इस वंश का अंतिम शासक था।
> चन्दवरदाई पृथ्वीराज तृतीय का राजकवि था, जिसकी रचना पृथ्वीराजरासो है।
> रणथम्भौर के जैन मंदिर का शिखर पृथ्वीराज तृतीय ने बनवाया था।
> तराईन का प्रथम युद्ध 1191 में हुआ, जिसमें पृथ्वीराज तृतीय की विजय एवं गौरी की हार हुई।
> तराईन के द्वितीय युद्ध 1192 में हुआ, जिसमें गौरी की विजय एवं पृथ्वीराज तृतीय की हार हुई।

परमार बंश

> परमार वंश का संस्थापक उपेन्द्राज था। इसकी राजधानी धारा नगरी थी। (प्राचीन राजधानी-उज्जैन) परमार वंश क सर्वाधिक शक्तिशाली शासक राजा भोज था।
> राजा भोज ने भोपाल के दक्षिण में भोजपुर नामक झील का निर्माण करवाया।
> नैपधीयचरित के लेखक श्रीहर्ष एवं प्रवन्धचिन्तामणि के लेखक मेरुतुंग थे।
> राजा भोज ने चिकित्सा, गणित एवं व्याकरण पर अनेक ग्रंथ लिखे ! भोजकृत युक्तिकल्पतरु में वास्तुशास्त्र के साथ साथ विविध वैज्ञानिक यंत्रो व उनके उपयोग का उल्केख है।
> नवसाहसाङक चरित के रचयिता पद्मगुप्त, दशरूपक के रचयिता धनंजय, धनिक, हलायुध एवं अमितगति जैसे विद्वान वाक्यपति मुंज के दरबार में रहते थे।
> कविराज की उपाधि से विभूषित शासक धा- भोज ने अपनी राजधानी में सरस्वती मंदिर का निर्माण करवाया था।
> इस मंदिर के परिसर में संस्कृत विद्यालय भी खोला गया था।
> राजा भोज के शासनकाल में धारा नगरी विद्या एवं विद्वानों का प्रमुख केन्द्र थी।
भोज ने चित्तौड़ में त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण करवाया।
> भोजपुर नगर की स्थापना-राजा भोज ने की थी।
> परमार बंश के बाद तोमर वंश का, उसके बाद चाहमान वंश का और अन्ततः 1297 ई० में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नसरत खाँ और उलुग खाँ ने मालवा पर अधिकार कर लिया।

चन्देल बंश

> प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुंदेलखंड की भूमि पर चन्देल वंश का स्वतंत्र राजनीतिक इतिहास प्रारंभ हुआ। बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है।
> चन्देल वंश का संस्थापक है-नन्नुक (831 ई०)।
> इसकी राजधानी खजुराहो थी। प्रारंभ में इसकी राजधानी कालिंजर (महोबा) थी।
> राजा धंग ने अपनी राजधानी कालिंजर से खजूराहो में स्थानांन्तरित की थी।
> चदल वंश का प्रयम स्वतंत्र एवं सबसे प्रतापी राजा यशोवर्मन या।
> यशोवर्मन ने कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार राजा देवपाल को हराया तथा उससे एक विष्णु की प्रतिमा प्राप्त की, जिसे उसने खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित की।
> धंग ने जिन्ननाथ, विश्वनाय एवं वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। कदरिया महादेव मंदिर का निर्माण धंगदेव द्वारा 999 ई० में किया गया
> धंग ने गंगा-जमुना के संगम में शिव की आराधना करते हुए अपने शरीर का त्याग किया।
> चदेछ शासक विद्याधर ने कन्नीज के प्रतिहार शासक राज्यपाल की हत्या कर दा कयाकि उसने महमूद के आक्रमण का सामना किए विना ही आत्मसमर्पण कर दिया या।
> विधाचर ही अकेला ऐसा भारतीय नरेश था जिसने महमूद गज़नी की महत्त्वाकांक्षाओं का सफउतापूर्वक प्रतिरोध किया।
> चंदेल शासक कीर्तिवर्मन की राज्यसभा में रहनेवाले फूष्ण मिश्र ने प्रबोध चन्द्रोदय की रचना की थी। इन्होंने महोबा के समीप कीर्तिसागर नामक जलाशय का निर्माण किया।
> आल्ह उदल नामक दो सेनानायक परमर्दिदेव के दरबार में रहते थे, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध करते हुए अपनी जान गँवायी थी।
> चंदेछ वंश का अंतिम शासक परमर्दिदेव ने 1202 ई० में कुतुबुद्दीन ऐबक की अरधीनता स्वीकार कर ली। इस पर उसके मंत्री अजयदेव ने उसकी हत्या कर दी।

सोलंकी वंश अचवा गुजरात के चालुक्य शातक

> सोलंकी पंश का संस्थापक मूछराज प्रथम था। इसकी राजधानी अन्ठिलवाड़ थी।
> मूलराज प्रथम शैयधर्म का अनुयायी या।
> भीम प्रथम के शासनकाढ में महमूद गजनी ने सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया।
> भीम प्रथम के सामन्त बिमल ने आावू पर्वत पर दिलयाड़ा का प्रसिद्ध जैिन मंदिर बनवाया।
> सोलंकी वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक जयसिंह सिद्धराज था।
> प्रसिद्ध जैन विद्वान हेमचन्द्र जयसिंह सिद्धराज के दरबार में था।
> माऊण्ट आबू पर्वत (राजस्थान) पर एक मंडप बनाकर जयसिह सिद्धराज ने अपने सातों पूर्वजों की गजारोही मृर्त्तियों की स्थापना की।
> मोढेरा के सूर्य मदिर का निर्माण सोलकी राजाओं के शासनकाल में हुआ था।
> सिद्धपुर में रुद्रमहाकाल के मंदिर का निर्माण जयसिंह सिद्धराज ने किया था।
> सोलंकी शासक कुमारपाल जैन मतानुयायी था। वह जैन घर्म के अंतिम राजकीय प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध है।
सोलकी वंश का अतिम शासक भीम द्वितीय था।
> भीम-II के एक सामन्त छवण प्रसाद ने गुजरात में वघेल वश की स्थापना की थी।
> बघेल वंश का कर्ण-II गुजरात का अंतिम हिन्दू शासक था, इसने अलाउद्दीन ख़िलजी की सेनाओं का मुकाबला किया था।

कलतृरि -चेदि राजवंश

> कलचूरि वंश का सस्थापक कोवकछ था इसकी राजधानी त्रिपुरी थी।
> कलचूरि वंश का एक शक्तिशाली शासक गांगेयदेव था, जिसने 'विक्रमादित्य" की उपाधि धारण की। पूर्व-मध्यकाळ में स्वर्ण सिक्कों के बिलुप्त हो जाने के पश्चात् इन्होंने सर्वप्रथम
इसे प्रारंभ करवाया।
> कलचूरि वंश सबसे महान शासक कर्णदेव था, जिसने करलिंग पर विजय प्राप्त की और त्रिकलिंगाधिपति की उपाधि घारण की।
> प्रसिद्ध कवि राजशेखर कलचुरि दरबार में ही रहते थे ।

सिसोदिया बंश

> सिसोदिया वंश के शासक अपने को सूर्यवशी कहते थे।
> सिसोदिया वंश के शासक मेवाड़ पर शासन करते थे। मैवाड़ की राजधानी चित्तौड़ थी।
> अपनी विजयों के उपलक्ष्य में विजयस्तम्भ का निर्माण राणा कुम्मा ने चित्तौड़ में करवाया।
> खतोली का युद्ध 1518 ई० में राणा साँगा एवं इब्राहिम लोदी के बीच हुआ।

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