Monday 6 April 2020

भारत का इतिहास - विदेशी यात्रियों से मिलने वाली प्रमुख जानकारी

विदेशी यात्रियों से मिलने वाली प्रमुख जानकारी

A. यूनानी-रोमन लेखक

(i) टेसियस : यह ईरान का राजवैद्य था । भारत के संबंध में इसका विवरण आश्चर्यजनक कहानियों से परिपूर्ण होने के कारण अविश्वसनीय है।
(ii) हेरोडोटस : इसे 'इतिहास का पिता' कहा जाता है। इसने अपनी पुस्तक हिस्टोरिका में 5वीं शताब्दी ईसापूर्व के भारत-फारस के संबंध का वर्णन किया है। परन्तु इसका
विवरण भी अनुश्रुतियों एवं अफवाहों पर आधारित है ।
iii) सिकन्दर के साथ आनेवाले लेखकों में निर्याकस, आनेसिक्रटस तथा आस्टिोबुलस के
विवरण अधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय हैं।
iv) मेगास्थनीज :- यह सेल्युकस निकेटर का राजदूत था, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के राजदरबार में आया था। इसने अपनी पुस्तक इण्डिका में मौर्य-युगीन समाज एवं संस्कृति के विषय
में लिखा है।
(v) डाइमेकस :- यह सीरियन नरेश आन्तियोकस का राजदूत था, जो बिन्दुसार के राजदरबार में आया था। इसका विवरण भी मौर्य-युग से संबंधित है ।
(vi) डायोनिसियस : यह मिस्र नरेश टॉलमी फिलेडेल्फस का राजदूत था जो अशोक के राजदरबार में आया था।
(vii) टॉलमी :- इसने दूसरी शताब्दी में 'भारत का भूगोल' नामक पुस्तक लिखी ।
(vii) प्लिनी :- इसने प्रथम शताब्दी में 'नेचुरल हिस्ट्री' नामक पुस्तक लिखी । इसमें भारतीय पशुओं, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थो आदि के बारे में विवरण मिलता है।
(ix) पेरीप्लस ऑफ द इरिश्रयन-सी :- इस पुस्तक के लेखक के बारे में जानकारी नहीं है । यह लेखक करीब 80 ई० में हिन्द महासागर की यात्रा पर आया था। इसने उस समय के भारत के बन्दरगाहों तथा व्यापारिक वस्तुओं के बारे में जानकारी दी है।

B. चीनी लेखक

(i) फाहियान :- यह चीनी यात्री गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में आया था। इसने अपने विवरण में मध्यप्रदेश के समाज एवं संस्कृति के बारे में वर्णन किया है । इसने मध्यप्रदेश की जनता को सुखी एवं समृद्ध बताया है।
(ii) संयुगन : यह 518 ई० में भारत आया। इसने अपने तीन वर्षों की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्राप्तियाँ एकत्रित की।
(iii) हुएनसाँग : यह हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था । हुएनसाँग 629 ई० में चीन से भारतवर्ष के लिए प्रस्थान किया और लगभग एक वर्ष की यात्रा के बाद सर्वप्रथम वह
भारतीय राज्य कपिशा पहुँचा। भारत में 15 वर्षों तक ठहरकर 645 ई० में चीन लौट गया । वह बिहार में नालंदा जिला स्थित नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन करने तथा भारत से बौद्ध ग्रंथों को एकत्र कर ले जाने के लिए आया था । इसका भ्रमण वृत्तांत सि-यू-की नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें 138 देशों का विवरण मिलता है। इसने हर्षकालीन समाज, धर्म तथा राजनीति के बारे में वर्णन किया है । इसके अनुसार सिन्ध का राजा शूद्र था ।

नोट :- हुएनसाँग के अध्ययन के समय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शीलभद्र थे।

(iv) इत्सिंग :- यह 7वीं शताब्दी के अन्त में भारत आया। इसने अपने विवरण में नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा अपने समय के भारत का वर्णन किया है।

C. अरबी लेखक

(1) अलबरुनी : यह महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। अरबी में लिखी गई उसकी कृति 'किताब -उल -हिन्द या तहकीक-ए -हिन्द (भारत की खोज) ', आज भी इतिहासकारों के लिए एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इसमें राजपूत कालीन समाज, धर्म, रीति रिवाज,  राजनीति आदि पर सुन्दर प्रकाश डाला गया है|

D. अन्य लेखक

(1) तारानाथ : यह एक तिब्बती लेखक था। इसने 'कंग्युर तथा 'तंग्युर' नामक ग्रंथ की रचना की। इनसे भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
(ii) मार्कोपोलो : यह 13वीं शताब्दी के अन्त में पाण्ड्य देश की यात्रा पर आया था। इसका विवरण पाण्ड्य इतिहास के अध्ययन के लिए उपयोगी है।

अन्य ब्लॉग लिंक :- भारत का इतिहास

No comments:

Post a Comment