Monday 6 April 2020

भारत का इतिहास

भारत का इतिहास

उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में "भारतवर्ष' अर्थात् 'भरत का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात् भरत की संतान कहा गया है। यूनानियों ने भारत को इंडिया तथा मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने हिन्द अथवा हिन्दुस्तान के नाम से संबोधित किया है। भारतीय इतिहास को अध्ययन की सुविधा के लिए तीन भागों में बाँटा गया है-प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत एवं आधुनिक भारत ।


प्राचीन भारत

1. प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी मुख्यतः चार स्रोतों से प्राप्त होती है-
(1) धर्मग्रंथ (2) ऐतिहासिक ग्रंथ (3) विदेशियों का विवरण (4) पुरातत्त्व संबंधी साक्ष्य 

धर्मग्रंथ एवं ऐतिहासिक ग्रंथ से मिलेनेवाली महत्त्वपूर्ण जानकारी :-
> भारत का सर्वप्राचीन धर्मग्रंथ वेढ है, जिसके संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना
जाता है। वेद चार हैं-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद ।

ऋग्वेद :-

> ऋचाओं के क्रमवद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है। इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त (वालखिल्य पाठ के 11 सूक्तों सहित) एवं 10,462 ऋचाएँ है। इस वेद के कचाओं के पढ़ने वाले ऋषि को होतृ कहते हैं। इस वेद से आर्य के राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
> विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के दूसरे मंडल में सूर्य देवता साबित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है। इसके 9वें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है।
> इसके आठवें मंडल की हस्तलिखित ऋचाओं को खिल कहा जाता है।
> चातुष्वण्ण्य समाज की कल्पना का आदि स्त्रोत ऋग्वेद के 10वें मंडल में वर्णित पुरुषसूक्त है. जिसके अनुसार चार वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शुद्र) आदि पुरुष ब्रह्मा के क्रमशः
मुख, भुजाओं, जंघाओं और चरणों से उत्पन्न हुए।

नोट : धर्मसूत्र चार प्रमुख जातियों की स्थितियों, व्यवसायों, दायित्वों, कर्त्तव्यों तथा विशेषाधिकारों में स्पष्ट विभेद करता है।

> वामनावतार के तीन पगों के आख्यान का प्राचीनतम स्त्रोत ऋग्वेद है ।
> ऋग्वेद में इन्द्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गयी है।

नोट : प्राचीन इतिहास के साधन के रूप में वैदिक साहित्य में ऋग्वेद के बाद शतपथ ब्राह्मण का स्थान है।

यजुर्वेद :-

> सस्वर पाठ के लिए मंत्रों तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद कहलाता है। इसके पाठकत्त्ता को अध्वर्यु कहते हैं।
> यह एक ऐसा वेद है जो गद्य एवं पद्य दोनों में है ।

सामवेद :- 

> यह गायी जा सकने वाली ऋचाओं का संकलन है। इसके पाठकत्ता को उद्रातृ कहते हैं। 
> इसे भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है।

अथर्ववेद :-

> अथर्वा ऋषि द्वारा रचित इस वेद में रोग निवारण, तंत्र मंत्र, जादु टोना, शोप वशीकरण, आर्शीवाद, स्तुति, प्रायश्चित, औषधि, अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि महात्मव आदि विविध विषयों से संबद्ध मंत्र तथा सामान्य मनुष्यों के विचारों, विश्वासों, अंधविश्वासों इत्यादि का वर्णन है।
> इसमें सभा एवं समीति को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है ।

नोट : सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है।

> वेदों को भली-भाँति समझने के लिए छः वेदागों की रचना हुई। ये हैं-शिक्षा, ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरूक्त तथा छंद 
> भारतीय ऐतिहासिक कथाओं का सबसे अच्छा क्रमबद्ध विवरण पुराणों में मिलता है। इसके रचयिता लोमहर्ष अथवा इनके पुत्र उग्रश्नवा माने जाते हैं। इनकी संख्या 18 है, जिनमें से केवल पाँच-मत्स्य, वायु, विष्णु, ब्राह्मण एवं भागवत में ही राजाओं की वंशावली पायी जाती है

पुराण :- विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, वायु पुराण 
सबंधित  वंश  :- मौर्य वंश, आन्ध्र सातवाहन, गुप्त वंश 

नोट : पुराणों में मत्स्यपुराण सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक है।

> अधिकतर पुराण सरल संस्कृत श्लोक में लिखे गये हैं। स्त्रियाँ तथा शूद्र जिन्हें वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी वे भी पुराण सुन सकते थे। पुराणों का पाठ पुजारी मंदिरों में किया करते थे।
> स्मृतिग्रंथों में सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक मनुस्मृति मानी जाती है। यह शुंग काल का मानक ग्रंथ है। नारद स्मृति गुप्त युग के विषय में जानकारी प्रदान करता है।
> जातक में बुद्ध की पूर्वजन्म की कहानी वर्णित है । हीनयान का प्रमुख ग्रंथ 'कथावस्तु' है। जिसमें महात्मा बुद्ध का जीवन चरित अनेक कथानकों के साथ वर्णित है ।
> जैन साहित्य को आगम कहा जाता है । जैनधर्म का प्रारंभिक इतिहास 'कल्पसुत्र' से ज्ञात होता है। जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में महावीर के जीवन कृत्यों तथा अन्यसमकालिकों के साथ उनके संबंधों का विवरण मिलता है 
> अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य (कौटिल्य या विष्णुगुप्त) हैं । यह 15 अधिकरणों एवं 180 प्रकरणों में विभाजित है इससे मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
> संस्कृत साहित्य में ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमबद्ध लिखने का सर्वप्रथम प्रयास कल्हणके द्वारा किया गया। कल्हण द्वारा रचित पुस्तक राजतरंगिणी है जिसका संदंध कश्मीर के इतिहास से है।
> अरबों की सिंध विजय का वृत्तांत चर्चनामा (लेखक-अली अहमद) में सुरक्षित है।
> अष्टाध्यायी (संस्कृत भाषा व्याकरण की प्रथम पुस्तक) के लेखक पाणिनी हैं। इससे मौर्य के पहले का इतिहास तथा मौर्य युगीन राजनीतिक अवस्था की जानकारी प्राप्त होती है।
> कत्यायन की गार्गी संहिता एक ज्योतिष ग्रंथ है फिर भी इसमें भारत पर होने वाले यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है।
> पंतजलि पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे, इनके महाभाष्य से शुंगों के इतिहास का पता चलता है।

अन्य ब्लॉग लिंक :- सिद्धियां प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री

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