Saturday 11 April 2020

भारत का इतिहास :- गुप्त साम्राज्य


गुप्त साम्राज्य

> गुप्त साम्राज्य का उदय तीसरी शताब्दी के अन्त में प्रयाग के निकट कीशाम्बी में हुआ।
> गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त (240-280 ई०) था ।
> श्रीगुप्त का उत्तराधिकारी घटोत्कच (280-320 ई०) हुआ।
> गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट् चन्द्रगुप्त प्रथम था। यह 320 ई० में गद्दी पर बैठा। इसने छिच्छवी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया । इसने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की।
> गुप्त संवत् (319-320 ई०) की शुरुआत चन्द्रगुप्त प्रथम ने की।
> चन्द्रगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ, जो 335 ई० में राजगद्दी पर वैठा। इसने आर्यावर्त्त के 9 शासकों और दक्षिणावर्त्त के 12 शासकों को पराजित किया । इन्हीं विजयों के कारण इसे भारत का नेपोलियन कहा जाता है ।
> समुद्रगुप्त का दरबारी कवि हरिषेण था, जिसने इलाहाबाद प्रशस्ति लेख की रचना की।
> समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था।
> समुद्रगुप्त ने अश्वमेधकर्त्ता की उपाधि धारण की ।
> समुद्रगुप्त संगीत-प्रेमी था। ऐसा अनुमान उसके सिक्कों पर उसे वीणा-वादन करते दिखाया जाने से लगाया गया है।
> समुद्रगुप्त ने विक्रमंक की उपाधि धारण की थी। इसे कविराज भी कहा जाता था।
> समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चन्द्रगुप्त II हुआ, जो 380 ई० में राजगर्दी पर बैठा।
> चन्द्रगुप्त II के शासनकाल में चीनी बीद्ध यात्री फाहियान भारत आया।
> शकों पर विजय के उपलक्ष्य में चन्द्रगुप्त II ने चाँदी के सिक्के चलाए।
> चन्द्रगुप्त II का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त I या गोविन्दगुप्त (415ई०-454 ई० ) हुआ।
> नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमारगुप्त ने की थी।
> कुमारगुप्त I का उत्तराधिकारी स्कन्धगुप्त (455-467 ई०) हुआ।
> स्कन्धगुप्त ने गिरनार पर्वत पर स्थित सुदर्शन झील का पुनरुद्धार किया।
> स्कन्धगुप्त ने पर्णदत्त को सौराष्ट्र का गवर्नर नियुक्त किया।
> स्कन्धगुप्त के शासनकाल में ही हूणों का आक्रमण शुरू हो गया।
> अंतिम गुप्त शासक भानुगुप्त था।
> गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी प्रादेशिक इकाई 'देश' थी, जिसके शासक को गोप्ता कहा जाता था। एक दूसरी प्रादेशिक इकाई भूक्ति थी, जिसके शासक उपरिक कहलाते थे।
> भक्ति के नीचे विषय नामक प्रशासनिक इकाई होती थी, जिसके प्रमुख विषयपति कहलाते थे।
> पुलिस विभाग का मुख्य अधिकारी दण्डपाशिक कहलाता था।
> पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट एवं भाटे कहा जाता था।
> प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी। ग्राम का प्रशासन ग्राम-सभा द्वारा संचालित था। ग्राम-सभा का मुखिया ग्रामीक कहलाता था एवं अन्य सदस्य महत्तर  कहलाते थे
> ग्राम समूहों की छोटी इकाई को पेठ कहा जाता था ।
> गुप्त शासक कुमार गुप्त के दामोदरपुर ताम्रपत्र में भूमि ब्रिकी सम्बन्धी अधिकारिया के क्रियाकलापों का उल्लेख है।
> भूराजस्व कुछ उत्पादन का 1/4 भाग से 1/6 भाग हुआ करता था


> आर्थिक उपयोगिता के आधार पर निम्न प्रकार की भूमि थी-
(1) श्षेत्र : कृषि करने योग्य भूमि।
(i1) वास्तु वास करने योग्य भूमि ।
(iii) चरागाह भूमि : पशुओं के चारा योग्य भूमि ।
(iv) खिल्य : ऐसी भूमि जी गीतने योग्य नहीं होती थी।
(v) अप्रदत : ऐसी भृमि गी जंगली होती थी।

> सिंचाई के लिए रहट या वंटी पंत्र का प्रयोग होता था ।
> श्रणी के प्रथान की जयष्टक कहा जाता था ।
> गुप्तकाल में उ्नेन सर्वाधिक पहस्वपूर्ण व्यापारिक कैन्द्र था।
> गुप्त राजाओ ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्रएं जारी की । इनकी स्वर्ण सुद्राओं को अभिलेखों में दीनार कहा गया है
> कायस्थों का सर्वप्रथम वर्णन याज्ञवल्क्य स्मृति में मिलता है। जाति के रूप में कायस्थों का सर्वप्रथम वर्णन ओशनम् स्मृति में मिलता है।
> विंध्य जंगल में शबर जाति के लोग अपने देवताओं को मनुष्य का मांस चढ़ाते थे।
> पहली बार किसी के सती होने का प्रमाण 510 ई० के भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिलता है, जिसमें किसी भोजराज की मृत्यु पर उसकी पत्नी के सती होने का उल्लेख है।
> गुप्तकाल में वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था। वृद्ध वेश्याओं को कुट्टनी कहा जाता था।
> गुप्त सम्राट् वैष्णव धर्म के अनुयायी थे तथा उन्होंने इसे राजधर्म बनाया था। विष्णु का वाहन गरुड़ गुप्तों का राजचिन्ह था। गुप्तकाल में वैष्णव धर्म संबंधी सबसे महत्त्वपूर्ण अवशेष देवगढ़ (झाँसी) का दशावतार मंदिर है।

गुप्तकालीन प्रसिद्ध मंदिर


मंदिर स्थान
विष्णु मंदिर तिगवा (जबलपुर, मध्य प्रदेश)
पार्वती मंदिर भूमरा (नागौदा, मध्य प्रदेश)
दशावतार मंदिर नयना कुठार, (मध्य प्रदेश)
शिव मंदिर देवगढ़ (झाँसी, उत्तर प्रदेश)
भीतर गाँव मंदिर खोह (नागौद, मध्य प्रदेश)
(लक्ष्मण मंदिर-ईंटों द्वारा निर्मित) भीतर गाँव (कानपुर, उत्तर प्रदेश)

> अजन्ता में निर्मित कुल 29 गुफाओं में वर्त्तमान में केवल 6 ही शेष हैं, जिनमें गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन हैं । इसमें गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी का चित्र प्रशंसनीय है।
> गुफा संख्या 17 के चित्र को चित्रशाला कहा गया है। इस चित्रशाला में बुद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से सम्बंधित चित्र उद्धृत किये गए है
> अजंता की गुफाएँ बौद्धधर्म की महायान शाखा से संबंधित हैं।
> गुप्तकाल में निर्मित अन्य गुफा बाघ की गुफा है, जो ग्वालियर के समीप बाघ नामक स्थान पर विंध्यपर्वत को काटकर बनायी गयी थी।
> चन्द्रगुप्त II के शासनकाल में संस्कृत भाषा का सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास थे।
> चन्द्रगुप्त II के दरबार में रहनेवाला आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरि थे ।
> गुप्तकाल में विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र (संस्कृत) को संसार का सर्वाधिक प्रचलित ग्रंथ माना जाता है।

बाइबिल के बाद इसका स्थान दूसरा है । इसे पाँच भागों में बांटा गया है -

(1) मित्रभेद, (2) मित्रलाभ, (3) संधि-विग्रह, (4) लब्ध प्रणाश, (5) अपरीक्षाकारित्व

> आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम एवं सूर्यसिद्धान्त नामक ग्रंथ लिखे। इसी ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है ।
> चन्द्रगुप्त II के दरबार में रहनेवाले कुछ प्रमुख विद्वान थे-आर्यभट्ट, वाराहमिहिर, धन्वन्तरि, बरह्मगुप्त आदि।
> पुराणों की वर्तमान रूप में रचना गुप्तकाल में हुई। इसमें ऐतिहासिक परम्पराओं का उल्लेख है।
> गुप्तकाल में चाँदी के सिक्कों को रूप्यका कहा जाता था।
> याज्ञवल्क्य, नारद, कात्यायन एवं बृहस्पति स्मृतियों की रचना गुप्तकाल में ही हुई।
> मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्तकाल में ही हुआ।
> सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है ।

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