Tuesday 28 April 2020

भारत का इतिहास :- मराठों का उत्कर्ष


> मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे |
> शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई० में शिवने दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था ।
> शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसल एवं माता का नाम जीजाबाई था।
> शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था ।
> शिवाजी के गुरु कोंडदेव थे।
> आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था।
> शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकर से 1640 ई० में हुआ।
> शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली ।
> अपने सैन्य अभियान के अन्तर्गत 1644 ई० में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया ।
> 1656 ई० में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया।
> बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खाँ को सितम्बर, 1665 ई० में शिवाजी को पराज़ित करने के लिए भेजा।
> शिवाजी ने सूरत को 1664 ई० एवं 1679 ई० में लुटा
> पुरन्दर की संधि 1665 ई० में महाराजा जय सिंह एवं शिवाजी के मध्य संपन्न हुई
> 1672 ई० में शिवाजी ने पन्हाला दुर्ग को बीजापुर से छीना
> 5 जून, 1674 ई० को शिवाजी ने रायगढ़ में वाराणसी (काशी) के प्रसिद्ध विद्वान श्री गगाभट्ट द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया। मूल रूप से गंगाभट्ट महाराष्ट्र का एक सम्मानित ब्राह्मण था, जो लंबे समय से वाराणसी में रह रहा था।
> शिवाजी को औरंगजेब ने मई, 1666 ई० में जयपुर भवन में कैद कर लिया, जहाँ से वे 16 अगस्त, 1666 ई० में भाग निकले ।
> मात्र 53 वर्ष की आयु में 3 अप्रैल, 1680 ई० को शिवाजी की मृत्यु हो गयी।

महाराष्ट्र के प्रमुख संत

1.ज्ञानदेव या ज्ञानेश्वर (1271-1296): महाराष्ट्र में भक्ति आदोलन के जनक, मराठी भाषा और साहित्य के संथापक, भगवत्गीता पर भावार्थदीपिका नामक बृहत टीका लिखी,
जिसे सामान्य रूप से ज्ञानेश्वरी के नाम से जाना जाता है।
2. नामदेव (1270-1350) : इनके अराध्य देव पांढरपुर के बिठोबा या विट्ठल (विष्णु के रूप) थे। बिठोबा या विट्ठल की उपासना को वरकरी संप्रदाय के नाम से जाना जाता है, जिसकी स्थापना नामदेव ने की थी ।
3.एकनाथ (1533-1599); इन्होंने रामायण पर भावार्थ रामायण नामक टीका लिखी।
4. तुकाराम (1598-1650): इन्होंने भक्तिपरक कविताएँ लिखी जिन्हें अभंग कहा जाता है । ये अभंग भक्तिपरक काव्य के ज्योतिपुंज है।
5. रामदास (1608-1681): महाराष्ट्र के अंतिम महान संत कवि। दशबोध उनकी रचनाओं और उपदेशों का संकलन है।

> शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था। अष्टप्रधान में पेशवा का पद सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं सम्मान का होता था।

अष्टप्रधान में निम्न पद थे-

1. पेशवा (प्रधानमंत्री) : राज्य का प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था की देख-रेख
2. सरी-ए-नौबत (सेनापति): सैन्य प्रधान
3. अमात्य (राजस्व मंत्री): आय-व्यय का लेखा-जोखा
4. वाकयानवीस : सूचना, गुप्तचर एवं संधि-विग्रह के विभागों का अध्यक्ष
5. चिटनिस : राजकीय पत्रों को पढ़कर उसकी भाषा-शैली
6. सुमन्त : विदेश मंत्री
7. पंडित राव : धार्मिक कार्यों के लिए तिथि का निर्धारण
8. न्यायाधीश : न्याययाययाय विभाग का प्रधान

> शिकाजी ने दस्बार में मराठी को भाषा के रूप में प्रयोग किया।

> शिवाजी की सेना तीन महत्त्वपूर्ण भागों में विभक्त थी-
1. पागा सेना : नियमित घुड़्सवार सैनिक।
2. सिलहदार : अस्थायी घुड़सवार सैनिक ।
3. पैदल : पैदल सेना।

> शिवाजी की कस्-व्यवस्था मलिक अम्बर की कर-व्यवस्था पर आधारित थी । शिवाजी ने रस्सी द्वारा माप की व्यवस्था के स्थान पर काठी एवं मानक छड़ी के प्रयोग को आरंभ किया।
> शिवाजी के समय कुल उपज का 33% भाग राजस्व के रूप में वसूला जाता था, जो बढ़ कर 40% हो गया था
> चौथे एवं सरदेशमुखी नामक कर शिवाजी के द्वारा लगाया गया। चौथ--किसी एक क्षत्र को बरवाद न- करने के बदले दी जाने वाली रकम को कहा, गया है। सरदेशमुखी- इसके हक का दावा करके शिवाजी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ देशमुख प्रस्तुत करना चाहत थे।

शिवाजी के किले की सुरक्षा के लिए नियुक्त अधिकारी


हवलदार किले की आंतरिक व्यवस्था की देखरेख
सरेनौबत जिले की सेना का नेतृत्व
सवनीस किले की अर्थव्यवस्था पत्र व्यवहार एवं भंडार की देखरेख

शिवाजी के उत्तराधिकारी

> शिवाजी का उत्तराधिकारी शम्भाजी था । शम्भाजी ने उज्जैन के हिन्दी एवं संस्कृत के त्रेकाण्ड विद्वान कवि कलश को अपना सलाहकार नियुक्त किया।
> मार्च, 1689 ई० को मुगल सेनापति मखर्रव खौं ने संगमेश्वर में छिपे कलश को गिरफ्तार कर लिया और उसकी हत्या कर दी।
> शम्भाजी के बाद 1689 ई० में राजाराम को नए छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक किया गया।
> राजाराम ने अपनी दूसरी राजधानी सतारा को बनाया।
> राजाराम मुगलों से संघर्ष करता हुआ 1700 ई० में मारा गया
> राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी तारावाई अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी II का राज्याभिषेक करवाकर मराठा साम्राज्य की वास्तविक संरक्षिका बन गई।
> 1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शम्भाजी के पूत्र साहू (जो औरंगजेब के कब्जे में था) भोपाल के निकट के मुगल शिविर से वापस महाराष्ट्र आया।
> साहू एवं ताराबाई के बीच 1707 ई० में खेड़ा का युद्ध हुआ, जिसमें साहू विजयी हुआ।
> साहू ने 22 जनवरी, 1708 ई० को सतारा में अपना राज्याभिषेक करवाया ।
> साहू के नेतृत्व में नवीन मराठा साम्राज्यवाद के प्रवर्त्तक पेशवा लोग थे, जो साहू के पैतृक प्रधानमंत्री थे। पेशवा पद पहले पेशवा के साथ ही वंशानुगत हो गया था।
> 1713 ई० में साहू ने बालाजी विश्वनाथ को पेशवा बनाया इनकी मृत्यु 1720 ई० में हुई। इसके बाद पेशवा बाजीराव प्रथम हुए।
> पेशवा बाजीराव प्रथम ने मुगल साम्राज्य की कमजोर हो रही स्थिति का फायदा उठाने के लिए साहू को उत्साहित करते हुए कहा कि आओ, हम इस पुराने वृक्ष के खोखले तने पर प्रहार करें, शाखाएँ तो स्वयं गिर जाएगी, हमारे प्रयत्नों से मराठा पताका कृष्णा नदी से अटक तक फहराने लगेगी। उत्तर में साहू ने कहा-निश्चित रूप से ही आप इसे हिमालय के पार गाड़ देंगे, निःसन्देह आप योग्य पिता के योग्य पुत्र हैं।
> पालखेड़ा का युद्ध 7 मार्च, 1728 ई० बाजीराव प्रथम एवं निजामुलमुल्क के बीच हुआ जिसमें निजाम की हार हुई निजाम के साथ मुंशी शिवगाँव की संधि हुई।
> दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा बाजीराव प्रथम था, जिसने 29 मार्च, 1737 ई० को दिल्ली पर धावा बोला था। उस समय मुगल बादशाह मुहम्मदशाह दिल्ली छोड़ने के लिए तैयार हो गया था।
> बाजीराव प्रथम मस्तानी नामक महिला से संबंध होने के कारण चर्चित रहा था।
> बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी बाजीराव 1740 ई० में पेशवा बना।
> 1750 ई० में संगोला संधि के बाद पेशवा के हाथ में सारे अधिकार सुरक्षित हो गए।
> बालाजी बाजीराव को नाना साहब के नाम से भी जाना जाता था।
> झलकी की संधि हैदराबाद के निजाम एवं बालाजी बाजीराव के मध्य हुई।
> बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तृतीय युद्ध (14 जन०, 1761) हुआ, जिसमें मराठों की हार हुई। इस हार को नहीं सह पाने के कारण वालाजी की मृत्यु 1761 में हो गयी।
> माधवराव नारायण प्रथम 1761 ई० में पेशवा बना। इसने मराठों की खोयी हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया।
> माधवराव ने ईस्ट इंडिया कंपनी की पेशन पर रह रहे मुगल वादशाह शाह आलम-II को पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठाया। मुगल बादशाह अब मराठों का पेंशनभोगी बन गया।
> पेशवा नारायण राव (1772-73) की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव के द्वारा कर दी गई।
> पेशवा माधवराव नारायण-II की अल्पायु के कारण मराठा राज्य की देख रेख बारहभाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद् करती थी। इस परिषद् के दो महत्त्वपूर्ण सदस्य थे-महादजी सिंधिया एवं नाना फड़नबीस ।
> अंतिम पेशवा राघोवा का पुत्र बाजीराव-II था, जो अंग्रेजों की सहायता से पेशवा बना था। मराठों के पतन में सर्वाधिक योगदान इसी का था। यह सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार था।
> प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध : 1775-82 ई० तक चला। इसके बाद 1776 ई० में पुरन्दर की संधि हुई। इसके तहत कम्पनी ने रघुनाथ राव के समर्थन को वापस लिया।
> द्वितीय ऑग्ल-मराठा युद्ध : 1803-05 ई० में हुआ। इसमें भोंसले (नागपुर) ने अंग्रेजों को चुनौती दी। इसके फलस्वरूप 7 सितम्बर, 1803 ई० को देवगाँव की संघि हुई।
> तृतीय ऑग्ल-मराठा युद्ध : 1816-18 ई० में हुआ। इस युद्ध के बाद मराठा शक्ति और पेशवा के वशानुगत पद को समाप्त कर दिया गया।
> पेशवा बाजीराव-II ने कोरेगाँव एवं अष्टी के युद्ध में हारने के बाद फरवरी 1818 ई० में मेल्कम के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया। अंग्रेजों ने पेशवा के पद को समाप्त कर बाजीराव-II को कानपुर के निकट बिठूर में पेंशन पर जीने के लिए भेज दिया, जहाँ 1853 ई० में इसकी मृत्यु हो गयी।

अंग्रेज मराठा संघर्ष के अंतर्गत होने वाली प्रमुख संधियाँ


संधियाँ वर्ष
सूरज की संदीप 1775
पुरंदर की संधि 1776
बड़गांव की संधि 1779
साला बाई की संधि 1782
बसीन की संधि 1802
देवगांव की संधि 1803
सुर्जी अर्जुनगांव की संधि 1803
राजपुर घाट की संधि 1804
नागपुर की संधि 1816
ग्वालियर की संधि 1817
पूना की संधि 1817
मंडसौर की संधि 1818

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