Thursday 26 March 2020

नो रूपों मे पूरा संसार




पहाड़ों पर मां का डेरा
जम्मू की वैष्णो देवी
मैहर में शारदे माता
हिमाचल की तारा देवी
विजयवाड़ा में विराजे कनक दु्गेश्वरी
मैसूर वाली चामुंडेश्वरी देवी
उतराखंड की मनसा देवी
माउंटआबू में अधर देवी
छत्तीसगढ़ में मां बम्लेश्वरी
नासिक की सप्तश्रृंगी देवी
ओडिशा में मां तारा तारिणी

पहाड़ों पर मां का डेरा

मां दुर्गा के ज्यादातर मंदिर पहाड़ियों की चोटी पर स्थित हैं और हर मंदिर की अपनी एक कहानी भी है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर आस्था के दरबार से जुड़ी कुछ खास बातें....


जम्मू की वैष्णो देवी

यह हिंदू तीर्थयात्राओं के सबसे पवित्र और पूजनीय स्थलों में से एक है। यह मंदिर 5,200 फीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मान्यता है कि माता ने इसी प्राचीन गुफा में भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था। पहाड़ी में एक गुफा के अंदर माता वैष्णो देवी की पवित्र मूर्ति स्थापित है। पहले मंदिर के गर्भ गृह तक जाने के लिए एक प्राचीन गुफा थी, जिसे बंद कर के दूसरा रास्ता बना दिया गया है। हर साल लगभग 80 लाख लोग इस पवित्र मंदिर की यात्रा करते हैं।

मैहर में शारदे माता

मैहर (मध्यप्रदेश) में शारदा मां का प्रसिद्ध मंदिर है, जो त्रिकुटा पहाड़ी पर बसा है। इसे देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहां सती के हार गिरे थे। यह मंदिर 1063 सीढ़ियों के लिए जाना जाता है। मध्य प्रदेश में दुर्गा के अन्य प्रसिद्ध मंदिर रतनागढ़ वाली माता, तुलजा भवानी देवास हैं। तुलजा भवानी के बारे में लोक मान्यता है कि यहां देवी मां के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी मां और बड़ी मां के नाम से जाना जाता है। बड़ी मां को तुलजा भवानी और छोटी मां को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है।

हिमाचल की तारा देवी

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 13 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर हरे देवदार के पेड़ों, जंगलों व हरे घास के मैदानों से घिरा है। यह मंदिर लगभग 250 वर्ष पूर्व बनाया गया था। प्रत्येक वर्ष हजारों तीर्थयात्री माता के दर्शन करने यहां आते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए भी देवी तारा का काफी महत्व है। यहां स्थापित देवी की मूर्ति को लेकर मान्यता है कि देवी की मूर्ति पश्चिम बंगाल से लाई गई थी।

विजयवाड़ा में विराजे कनक दु्गेश्वरी

आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा स्थित 'इंद्रकीलाद्री' पर्वत पर निवास करने वाली माता कनक दुर्गेश्वरी का मंदिर यहां के मुख्य मंदिरों में एक है। पहाड़ी की चोटी पर बसे इस मंदिर श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरा वातावरण और भी  ध्यात्मिक हो जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर की देवी प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी, इसलिए इसे बहुत खास और शक्तिशाली माना जाता है।

मैसूर वालीचामुंडेश्वरी देवी

चामुंडेश्वरी मंदिर कर्नाटक के मैसूर क्षेत्र की चामुंडा पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर के दरवाजे चांदी के हैं। और मूर्तियां सोने की। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना 12वीं सदी में की गई थी। मंदिर परिसर में राक्षस महिषासुर की एक 16 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जो यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

उतराखंड की मनसा देवी

यह अत्यंत ही प्रसिद्ध मंदिर है, जो हरिद्वार से तीन किमी दूरी पर स्थित है। देवी का यह एक ऐसा धाम है जहां दर्शन मात्र से और जिनका नाम लेने भर भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं। यह शक्ति पीर प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में एक है। इसके अलाव हरिद्वार में चंडी देवी और माया देवी मंदिर प्रसिद्ध है।

माउंटआबू में अधर देवी

राजस्थान के माउंट आबू क्षेत्र में स्थित अधर देवी मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक गंतव्यों में से एक है। अधर देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। यहां मान्यता है कि अगर कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ देवी की पूजा करता है, तो यहां उसे बादलों में देवी की छवि दिखती है। पर्वतों और जंगलों से घिरे इस मंदिर का नजारा ही कुछ और होता है। राजस्थान में अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में करणी माता का मंदिर है।

छत्तीसगढ़ में मां बम्लेश्वरी

डोंगरगढ़ के पहाड़ पर स्थित मां बम्लेश्वरी के मंदिर को छत्तीसगढ़ का समस्त जनसमुदाय तीर्थ मानता है। यह मंदिर 1,600 फुट की ऊंचाई पार स्थित है। इस मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियों के अलावा रोपवे की सुविधा भी है। मुख्य मंदिर से एक-दो किलोमीटर की दूरी पर भूतल स्तर पर एक और मंदिर स्थित है।

नासिक की सप्तश्रृंगी देवी

महाराष्ट्र के नासिक के पास सप्तश्रृंगी देवी का मंदिर स्थित है, जो 51 शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर छोटे-बड़े सात पर्वतों से घिरा हुआ है, इसलिए यहां की देवी को सप्तश्रृंगी यानी सात पर्वतों की देवी कह जाता है। यहां की देवी मूर्ति 10 फुट लंबी है। देवी मूर्ति के 18 हाथ हैं और प्रत्येक हाथ में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र हैं। प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में लोग माता के दर्शन करने आते हैं।

ओडिशा में मां तारा तारिणी

ओडिशा में बरहामपुर के पास तारा तारिणी पहाड़ी पर स्थित मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर दो जुड़वां देवियों तारा और तारिणी को समर्पित है। यह मंदिर देवी सती के चार शक्ति पीठों के मध्य में स्थापित है। यानी इस मंदिर की चारों दिशा में एक-एक शक्ति पीठ है।

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