Tuesday 31 March 2020

ग्रह-बाधा दूर करने वाली मां कालरात्रि


मां कालरात्रि का स्वरुपभयानक होने के बावजूद भी वह शुभ फल देने वाली देवी हैं। मां कालरात्रि नकारात्मक, तामसी और राक्षसी प्रवृतियों का विनाशंकर भक्तों को दानव, दैत्य आदि से अभय प्रदान करती हैं।

नवरात्र के सप्तम दिन मां कालरात्रि की उपासना से प्रतिकूल ग्रहों द्वारा उत्पन्न की जाने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं और जातक अग्नि, जल, जंतु, शत्रु आदि के भय से मुक्त हो जाता है। मां कालरात्रि का स्वरूप भयानक होने के बावजूद भी वह शुभ फल देने वाली देवी हैं। मां कालरात्रि नकारात्मक, तामसी और राक्षसी प्रवृतियों का विनाश कर भक्तों को दानव, दैत्य, भूत-प्रेत आदि से अभय प्रदान करती हैं। मां का यह रूप भक्तों को ज्ञान और वैराग्य प्रदान करता है। घने अंधेरे की तरह एकदम गहरे काले रंग वाली, सिर के बाल बिखरे रखने वाली माता के तीन नेत्र हैं तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है। कालरात्रि, मां दुर्गा का सातवां विग्रह स्वरूप है। इनके तीनों नेत्र ब्रह्मांड के गोले की तरह गोल हैं। इनके गले में विद्युत जैसी छटा देने वाली सफेद माला सुशोभित रहती है। इनके चार हाथ हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप भयानक है, लेकिन वे भक्तों को शुभ फल ही देती हैं। इनका वाहन गधा है। वे अपने भक्तों की रक्षा के लिए हथियार भी रखती हैं। योगी साधकों द्वारा कालरात्रि का स्मरण 'सहस्त्रार' चक्र में ध्यान केंद्रित करके किया जाता है। माता उनके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों की प्राप्ति के लिए राह खोल देती हैं। मां कालरात्रि के पूजन से साधक के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कालरात्रि मां के चार हाथों में से दो हाथों में शस्त्र रहते हैं। एक हाथ अभय मुद्रा में तथा एक वर मुद्रा में रहता है। मां का ऊपरी तन लाल रक्तिम वस्त्र से तथा नीचे का आधा भाग बाघ के चमड़े से ढका रहता है। मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह-बाधाएं दूर हो जाती हैं।

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