Sunday 26 January 2020

पूरा दूध पीने से बच्चों में मोटापे का खतरा कम हो सकता है


दूध पीने का नया फायदा सामने आया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि कम वसा वाले दूध की तुलना में संपूर्ण दूध पीने से बच्चोंमें मोटापे का खतरा 40 फीसद तक कम होता है। संपूर्ण दूध उसे कहते हैं, जिसमें फैट ( वसा) जैसे किसी भी घटक को निकाला ना गया हो। कनाडा के सेंट माइकल अस्पताल के शोधकर्ताओं के अनुसार, 28 अध्ययनों के विश्लेषण पर यह निष्कर्ष निकला है। अष्ययन के दौरान बच्चों में गाय के दूध के सेवन और मोटापे के बीच संबंध पर गौर किया गया। दो से 18 साल तक के बच्चों पर किए अध्ययनों में कम वसा वाला दूध पीने वाले बच्चों में मोटापे का निम्न खतरा पाया गया, जबकि इन 28 अध्ययनों में से 18 में संपूर्ण दूध पीने वाले बच्चों में मोटापे का खतरा नहीं पाया गया 

हेल्थ अपडेट मोटापे से बचाने के लिए बच्चों को दें फुल क्रीम मिल्क

ऐसे बच्चे जो रोजाना फुल क्रीम मिल्क पीते हैं, उनमें मोटापे का खतरा उन बच्चों के मुकाबले 40 फीसदी कम होता है जो लो-फैट दूध पीते हैं। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने उन 28 शोधों का अध्ययन किया जिनमें 1 से 18 साल के 21 हजार ऐसे बच्चे शामिल थे, जो गाय के दूध का सेवन करते थे। शोध में मुख्य तौर पर बच्चों के दूध के आहार और उससे हो सकने वाले मोटापे की परेशानी के बीच के संबंध पर अध्ययन किया गया था। 'द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, पहले किए 28 शोध में से किसी में भी यह साबित नहीं हुआ कि लो-फैट मिल्क पीने वाले बच्चों में अधिक वजन का खतरा कम होता है। इसके उलट 28 में से 18 स्टडीज में यह पाया गया कि फुल-क्रीम मिल्क पीने वाले बच्चों में मोटापे का खतरा कम होता है।

ज्यादा या कम सोने से फेफडे के रोग का खतरा

एक नए अध्ययन में आगाह किया गया है कि नियमित रूप से 11 घंटे से ज्यादा या चार घंटे से कम सोने वाले लोगों में फेफड़े के लाइलाज रोग पल्मनेरी फाइब्रोसिस का खतरा दो से तीन गुना ज्यादा हो सकता है। टिश्यू क्षतिग्रस्त होने से यह बीमारी होती है। इसमें फेफड़े ठीक से काम नहीं कर पाते। ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, हमारे शरीर की आतंरिक घड़ी प्रत्येक कोशिका को नियंत्रित करती है। इसी घड़ी से नींद, हार्मोन का स्राव और मेटाबोलिज्म जैसी कई प्रक्रियाएं संचालित होती हैं। फेफड़ों की कार्यप्रणाली में भी इस घड़ी की भूमिका होती है। मैनचेस्टर के शोधकर्ता जॉन ब्लैकले ने कहा, 'घातक पल्मनेरी फाइब्रोसिस बीमारी अभी लाइलाज है

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