Wednesday 1 April 2020

सुख-संपन्नता प्रदाता मां महागौरी


महागौरी को शिवा भी कहा जाता है। इनके एक हाथ में शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है, तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। तीसरा हाथ वरमुद्रा में है और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता है।

नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की उपासना से भक्त के जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और मार्ग से भटका हुआ जातक भी सन्मार्ग पर आ जाता है। मां भगवती का यह शक्ति रूप भक्तों को तुरंत और अमोघ फल देता है। भविष्य में पाप-संताप, निर्धनता, दीनता और दुख उसके पास नहीं फटकते। इनकी कृपा पाप-संताप, निर्धनता, दानता आर दुख उसके पास नहीं फटकते। इनकी कृपा से साधक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है, उसे अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। माता महागौरी का अति सौन्दर्यवान, शांत, करूणामयी स्वरूप, भक्त की समस्त मनोकामना पूर्ण करता है, ताकि वह अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ सके। कंद, फूल, चंद्र अथवा श्वेत शंख जैसे निर्मल गौर वर्ण वाली महागौरी के समस्त वस्त्राभूषण और यहां तक कि इनका वाहन भी हिम के समान सफेद रंग वाला बैल माना गया है इनकी चार भुजाएं हैं। इनमें ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाला बायां हाथ वर मुद्रा में रहती है। माता महागौरी मनुष्य की प्रवृत्ति सत् की ओर प्रेरित करके अस्त्र का विनाश करती हैं। माता महागौरी की उपासना से भक्त को अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है इनकी उपासना से भक्तों के सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।

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