Thursday 23 January 2020

सेहत भरे जीवन का मूलमंत्र

सेहत भरे जीवन का मूलमंत्र



परिवार के सभी सदस्यों को अपनी सेहत सही रखने के लिए अपने खानपान,व्यायाम और विश्रामपर पर्याप्त ध्यान देना जरूरी है।चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए सभी लोगों को कुछ संकल्प लेकर उन्पर अमल जरूर करना चाहिए..

एक स्वस्थ जीवन का अर्थ सिर्फ बीमारी रहित होना नहीं है। स्वस्थ जीवन के संदर्भमें शारीरिक, सामाजिक और मानसिकरूप से सुखी व स्वस्थ होना भी शामिल है। स्वस्थ रहकर ही आप स्वयं व परिवार के लिए साथ ही समाज के लिए सार्थक जीवन जी सकते हैं। सच तो यह है कि अच्छे स्वास्थ्य से जहां व्यक्ति बीमारियों से मुक्त रहता है, वहीं उसकी कार्य क्षमता भी बढ़ती है।

I - खानपान

जरूरत से कम पोषक तत्वों को ग्रहण करना कुपोषण कहलाता है। कुपोषण कई बीमारियों को बुलावा देता है, जैसे कमजोरी महसूस होना, शरीर में खून की कमी होना और विटामिंस व मिनरल्स की कमी होना आदि। कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप समुचित आहार ग्रहण कर सकते हैं। कभी भी सुबह नाश्ता किए बगैर घर से बाहर न जाएं।रात भर की नींद के बाद दिमाग और शरीर की ऊर्जा के लिए नाश्ता बहुत जरूरी है। सुबह के समय नाश्ता न करने से न केवल शरीर,बल्कि मस्तिष्क भी सुस्तहो जाता है साथ ही एसीडिटी की समस्याभी हो सकती है। रिफाइंड युक्त खानपान का प्रयोग कम से कम करे। स्वस्थ रहने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप महगे और विदेशी खाद्य पदार्थ ही ग्रहण करे। अपने परिवेश मेंपाए जाने वाले खाद्य पदार्थ ज्यादा लाभकारी होते हैं।


भोजन की थाली में अलग-अलग रंगों के खाद्यपदार्थ जरूर होने चाहिए, जैसे पीली दाल, हरी सब्जी,सफेद दही और रंग-बिरंगी सलाद। इससे शरीर के लिए सारे जरूरी पोषक तत्व आसानी से मिल जाएगे। रात का भोजन आठ-नौ बजे तक हर हाल में कर लेना चाहिए। बहुत देर से भोजन करने पर रात में एसिडया जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।सेहत सही रखने के लिए प्रतिदिन आठ से दस गिलास पानी अवश्य पिएं। प्रतिदिन अलग-अलग रंग की दो-तीन कटोरी सब्जी तथा एक से दो प्लेट सलाद व फलों का सेवन करें।


II - नियमित जांच

जरूरी शारीरिक जांचें साल में कितनी बार हो, यहबात आयु, बीमारियों और परिवार की हेल्थ हिस्ट्रीपर निर्भर करती है। अगर आप पूरी तरह स्वस्थहैं तो भी चालीस-पैंतालिस की उम्र के बाद साल में एक बारडॉक्टर से मिलकर आवश्यक जांचें करवानी चाहिए। इससे समय रहते शारीरिक समस्याओं के बारे में पता चल जाता है। वैसे तो आजकल मार्केट बहुत सारे हेल्थ पैकेज काप्रचलन है, पर आप अपने डॉक्टर की सलाह से ही जरूरी जाचें करवाएं । व्यर्थ में समय और धन की हानि न करें।


III - टीकाकरण

बच्चे और बड़ों दोनों को ही उनकी अवस्था के अनुसार टीकाकरण की जरूरत होती है। टीकाकरण बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका है। टीकाकरण आयु तथा मेडिकल कंडीशन के आधार पर किया जाताहै। समय पर टीका लगवाने से पीलिया ( हेपेटाइटिस ए व बी). पोलियो, खसरा, मंप्स,पलू, न्यूमोनिया आदि लगभग पंद्रह बीमारियों सेबचाव हो सकता है। आप अपने डॉक्टर से परामर्शकरें कि कौन-कौन सा टीका अपने और परिवारके अन्य सदस्यो को लगवा सकते हैं।


IV - व्यायाम

प्रतिदिन लगभग एक घंटे का वक्त व्यायाम के लिए अवश्य निकालें । व्यायाम किसी आयु विशेष के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि यह 70 साल वाले बुजुर्ग के लिए भी उतना ही लाभकारी है, जितना कि पांच साल के बच्चे के लिए। व्यायाम महिलाओं व पुरुषों के लिए समान रूप से लाभदायक होता है। नियमित रूप से व्यायाम करने से हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है साथ ही मोटापा भी नियंत्रित होता है। इसके अलावा डिप्रेशन व नींद की समस्या को दूर करने में भी व्यायाम से मदद मिलती है। याद रखें व्यायाम अपनी क्षमता व रुचि के अनुसार करें। व्यायाम में पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, योग,प्राणायाम और नृत्य आदि को शामिल कर सकते हैं।


V - दूर रहें नशे की लत से

धूमपान और अन्य किसी भी तरह के नशे की लत आपके शरीर को ही नहीं, परिवार और आर्थिक स्थिति को भी लगातार कमजोर करती है। अगर आप प्रतिदिन नशा करेंगे तो आगे चलकर इन व्यसनों को छोड़ना मुश्किल हो जाएगा। देश में होने वाली कुल मौतों मेंसे एक तिहाई मौतें धूमपान की लत से होने वाले रोगोंके कारण ही होती हैं। अगर आप किसी तरह का नशा करते हैं तो आपको नए वर्ष में अपने आपको इस लत से मुक्त करने का प्रण लेना चाहिए। नशा छोड़ने के संदर्भ में परामर्श के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। नशा छुडाने में व्यवहार चिकित्सा सहायक है।करते समय ऐसे लोग


VI - नींद

नींद के दौरान भी हमारे शरीर के कई अंग और हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहता है। अनेक हार्मोस नींद के दौरान ही सक्रिय होते हैं और वे हमें स्वस्थबनाए रखने में सहायक होते हैं। एक वयस्क को लगभग सात से आठ घंटे की नींद आवश्यक है। वहीं छोटे बच्चों के लिए दस से बारह घंटे की नींद उनके तन-मन के संपूर्ण विकास के लिए लाभकारी है। अनिद्रा से डिप्रेशन, माइग्रेन और हृदय रोगों से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं।

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