Monday 6 April 2020

भारत का इतिहास :- वैदिक सभ्यता

वैदिक सभ्यता 

> वैदिककाल का विभाजन दो भागों 1. ऋग्वैदिक काल- 1500-1000 ई० पू० और 2. उत्तर वैदिककाल- 1000-600 ई० पू० में किया गया है।
> आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे । मैक्स मूलर ने आर्यों का मूल निवास-स्थान मध्य एशिया को माना है। आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई ।
> आर्यों द्वारा विकसित सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी ।
> आर्यों की भाषा संस्कृत थी।
> आर्यों के प्रशासनिक ईकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बँटा था-कुल, ग्राम, विश, जन, राष्ट्र।
> ग्राम के मुखिया ग्रामिणी एवं विशू का प्रधान विशपति कहलाते थे। जन के शासक को राजन कहा जाता था।
> राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे ।
> सूत, रथकार तथा कम्मादि नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे । इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हुआ करती थी।
> पुरप-दुर्गपति एवं स्पश-जनता की गतिविधियों को देखने वाले गुप्तचर होते थे।
> वाजपति-गोचर भूमि का अधिकारी होता था ।
> उग्र-अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था।
> सभा एवं समिति राजा को सलाह देने वाली संस्था थी। सभा श्रेष्ठ एवं संभ्रात लोगों की संस्था थी जबकि समिति सामान्य जनता का प्रतिनिधित्व करती थी। इसके अध्यक्ष को ईशान कहा जाता था।
> युद्ध में कबीले का नेतृत्व राजा करता था । युद्ध के लिए गविष्टि शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है-गायों की खोज।
> दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के 7वें मंडल में है, यह युद्ध परुषणी (रावी) नदी के तट पर सुदास एवं दस जनों के बीच लड़ा गया, जिसमें सुदास विजयी हुआ।
> ऋग्वैदिक समाज चार वर्णों में विभक्त था । ये वर्ण थे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । यह विभाजन व्यवसाय पर आधारित था । ऋग्वेद के 10 वें मंडल के पुरुषसूक्त में चतुर्वर्णों का उल्लेख मिलता है। इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण परम पुरुष के मुख से, क्षत्रिय उनकी भुजाओं से, वैश्य उनकी जाँघों से एवं शूद्र उनके पैरों से उत्पन्न हुए हैं।
> आयों का समाज पितृप्रधान था । समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल थी, जिसका मुखिया पिता होता था, जिसे कुलप कहा जाता था।
> स्त्रियाँ इस काल में अपने पति के साथ यज्ञ- कार्य में भाग लेती थीं ।
> बाल-विवाह एवं पर्दा-प्रथा का प्रचलन नहीं था।
> विधवा अपने मृतक पति के छोटे भाई (देवर) से विवाह कर सकती थी।
> स्त्रियाँ शिक्षा ग्रहण करती थीं। ऋग्वेद में लोपामुद्रा, घोषा, सिकता, आपला एवं विश्वास जैसी विदुषी स्त्रियों का वर्णन है।
> जीवन भर अविवाहित रहतनेवाली महिलाओं को अमाज कहा जाता था ।
> आयों का मुख्य पेय पदार्थ सोमरस था। यह वनस्पति से बनाया जाता वा।
> आर्य मुख्यतः तीन प्रकार के वस्त्रों का उपयोग करते थे - 1. वास  2. अधिवास और  3. उष्णीय
अन्दर पहनने वाले कपड़े को नीवि कहा जाता था ।
> आर्यों के मनोरंजन के मुख्य साधन थे--संगीत, रथदौड़, घुड़दौड़ एवं धूतक्रीड़ा
> आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन एवं कृषि था।
> गाय को अध्न्या-न मारे जाने योग्य पशु की श्रेणी में रखा गया था। गाय की हत्या करने वाले या उसे घायल करने वाले के लिए वेदों में मूत्युदंड अथवा देश से निकाले की व्यवस्था की गई है।
> आर्यों का प्रिय पशु घोड़ा एवं सर्वाधिक प्रिय देवता इन्द्र थे ।
> आर्यों द्वारा खोजी गयी धातु लोहा थी। जिसे श्याम अयस् कहा जाता था। ताँबे को लोहित अयसू कहा जाता था।
> व्यापार हेतु दूर-दूर तक जानेवाला व्यक्ति को पणि कहते थे।
> लेन-देन में वस्तु-विनियम की प्रणाली प्रचलित थी ।
> ऋण देकर ब्याज लेने वाला व्यक्ति को वेकनॉट (सूदखोर) मनुष्य एवं देवता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभानेवाले देवता के रूप में अग्नि की पूजा की जाती थी।
> ऋग्वेद में उल्लिखित सभी नदियों में सरस्वती सबसे महत्वपूर्ण तथा पवित्र मानी जाती थी। ऋग्वेद में गंगा और यमुना का उल्लेख सिर्फ एक बार हुआ है।
> उत्तरवैदिक काल में इन्द्र के स्थान पर प्रजापति सर्वाधिक प्रिय देवता हो गए थे।
> उत्तरवैदिक काल में राजा के राज्याभिषेक के समय राजसूर्य यज्ञ का अनुष्ठान किया जाता था।
> उत्तरवैदिक काल में वर्ण व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होने लगे थे ।
> उत्तरवैदिक काल में हल को सिरा और हल रेखा को सीता कहा जाता था।
> उत्तरवैदिक काल में निष्क और शतमान मुद्रा की इकाइयाँ थीं, लेकिन इस काल में किसी खास भार, आकृति और मूल्य के सिक्कों के चलन का कोई प्रमाण नही मिलता।
> सांख्य दर्शन भारत के सभी दर्शनों में सबसे प्राचीन है। इसके अनुसार मूल तत्व पच्चीस है, जिनमें प्रकृति पहला तत्त्व है।
> 'सत्यमेवजयते' मुण्डकोपनिषद् से लिया गया इन्द्र है। इसी उपनिषद् में यज्ञ की तुलना टूटी अग्नि नाव से की गयी है।
> गायत्री मंत्र सवितृ नामक देवता को संबोधित है, जिसका संबंध ऋग्वेद से है।
> उत्तरवैदिक काल में कौशाम्बी नगर में प्रथम बार पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया है।
> महाकाव्य दो है-महाभारत एवं रामायण।
'> महाभारत' का पुराना नाम जयसंहिता है। यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
> गोत्र नामक संस्था का जन्म उत्तरवैदिक काल में हुआ।

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