Friday 17 April 2020

भारत का इतिहास :- मुगल साम्राज्य

मुगल साम्राज्य

> मुगल वंश का संस्थापक बाबर था। बावर एवं उत्तरवर्त्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे। बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद-पादशाही की स्थापना की, जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था।


बाबर 1526 - 1530 ईo)

> बाबर का जन्म 24 फरवरी, 1483 ई० में हुआ था।
> बाबर के पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे।
> बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून, 1494 ई० में बैठा। बाबर ने 1507 ई० में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी।
> बाबर के चार पुत्र थे-हुमायूँ, कामरान, असकरी तथा हिंदाल।
> बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया।
> बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई० में युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था। इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने अधिकार में कर लिया।
> बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निरमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खाँ लोदी एवं मेवाड़ के शासक राणा साँगा ने दिया था।
> पानीपत के प्रथम युद्ध में वाबर ने पहली बार तुगलमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था। उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेवाज थे, जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था।

बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध

युद्ध वर्ष पक्ष परिणाम
पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई० इब्राहिम लोदी एवं बाबर बाबर विजयी
खानवा का युद्ध 17 मार्च, 1527 ई० राणा साँगा एवं बाबर बाबर विजयी
चन्देरी का युद्ध 29 जनवरी, 1528 ई० मेदनी राय एवं बाबर बाबर विजयी
घाघरा का युद्ध 6 मई, 1529 ई० अफगानों एवं बाबर बाबर विजयी

> खानवा युद्ध में विजय के बाद बाबर ने 'गाजी' की उपाधि धारण की थी।
> बाबर को अपनी उदारता के लिए कलन्दर की उपाधि दी गयी।
> 30 जनवरी, 1528 को जहर दे देने के कारण राणा साँगा की मृत्यु हो गई।
> करीब 48 वर्ष की आयु में 26 दिसम्बर, 1530 ई० को आगरा में बाबर की मृत्यु हो गयी।
> प्रारंभ में बाबर के शव को आगरा के आरामबाग में दफनाया गया, बाद में काबुल में उसके द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया।
> बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा की रचना की, जिसका अनुवाद बाद में फारसी भाषा में अब्दुल रहीम खानखाना ने किया ।
> बाबर को मुबईयान नामक पद्यशैली का भी जन्मदाता माना जाता है।
> बाबर प्रसिद्ध नक्शबन्दी सूफी ख्वाजा उबैदुल्ला अहरार का अनुयायी था ।
> बाबर का उत्तराधिकारी हुमायूँ हुआ।

हमायूँ (1530 - 1556 ई०)

> नसीरुद्दीन हुमायूँ, 29 दिसम्बर, 1530 ई० को आगरा में 23वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर वैठा। गद्दी पर वैठने से पहले हुमायूँ बदख्शां का सूबेदार था ।
> अपने पिता के निर्देश के अनुसार हुमायूँ ने अपने राज्य का बैटवारा अपने भाइयों में कर दिया। इसने कामरान को काबुल और कंधार, मिर्जा असकरी को सँभल, मिज्जा हिंदाल को अलवर एवं मेवाड़ की जागीरें दीं। अपने च्चेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हमायूँ ने बदख्शाँ प्रदेश दिया।
> 1533 ई० में हुमायूँ ने दीनपनाह नामक नए नगर की स्थापना की थी।
> चौसा का युद्ध 25 जून, 1539 ई० में शेर खाँ एवं हमायूँ के बीच हुआ इस युद्ध में शेर खाँ विजयी रहा। इसी युद्ध के बाद शेर खाँ ने शेरशाह की पद्वी ग्रहण कर ली
> बिलग्राम या कन्नौज युद्ध 17 मई, 1540 ई० में शेर खाँ एवं हुमायूँ के बीच हुआ इस युद्ध में
भी हुमायूँ पराजित हुआ। शेर खाँ ने आसानी से आगरा एवं दिल्ली पर कव्जा कर लिया।
> बिलग्राम युद्ध के बाद हुमायूँ सिन्ध चला गया, जहाँ उसने 15 वर्षों तक घुमक्कड़ों जैसा निर्वासित जीवन व्यतीत किया।
> निर्वासन के समय हुमायूँ ने हिन्दाल के आध्यात्मिक गुरु फारसवासी शिया मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की पूत्री हमीदा बानू बेगम से 29 अगस्त, 1541 ई० को निकाह कर लिया। कालान्तर में हमीदा से ही अकबर जैसे महान सम्राट् का जन्म हुआ।
> 1555 में हुमायूँ ने पंजाब के शूरी शासक सिकन्दर को पराजित कर पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
> हुमायूँ द्वारा लड़े गए चार प्रमुख युद्धों का क्रम है : देवरा (1531 ई०), चौसा (1539), बिलग्राम(1540) एवं सरहिन्द का युद्ध (1555 ई०)
> 1 जनवरी, 1556 ई० को दीन पनाह भवन में स्थित पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गयी।
> हुमायूँनामा की रचना गुल-बदन बेगम ने की थी ।
> हुमायूँ ज्योतिष में विश्वास करता था, इसलिए इसने सप्ताह के सातों दिन सात रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए।

शैरशाह (1540 - 1545 ई०)

> सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था।
> शरशाह का जन्म 1472 ई० में बजवाड़ा (होशियारपुर) में हुआ था।
> इजके बचपन का नाम फराद खो था। यह सुर वंश से संबंधित था।
> इनके पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अन्तर्गत सासाराम के जमींदार थे
> फरीद ने एक शेर को तलवार के एक ही वार से मार दिया था। उसकी इस बहादूरी से प्रसन्न होकर विहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खाँ लोहानी ने उसे शेर खाँ
की उपाधि प्रदान की।
>|शेरशाह विलग्राम युद्ध (1540 ई०) के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
> शेरशाह की मृत्यु कालिंजर के किले को जीतने के क्रम में 22 मई, 1545 ई० को हो गयी। मृत्यु के समय वह उक्का नाम का आग्नेयास्त्र चला रहा था।
> कारलिंजर का शासक कीरत सिंह था।
> शोरशाह का मकबरा सासाराम में झील के बीच ऊँचे टीले पर निर्मित किया गया है।
> रोहतासगढ़ किला, किला-ए कुहना (दिल्ली) नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह के द्वारा किया गया था ।
> शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह था।
> शेरशाह ने भूमि की माप के लिए 32 अंकवाला सिकन्दरी गज एवं सन की डंडी का प्रयोग किया।
> शरशाह ने 178 ग्रेन चाँदी का रुपया एवं 380 ग्रेन ताँबे के दाम चलवाया।
> शेरशाह ने रोहतासगढ़ के दुर्ग एवं कन्नीज के स्थान पर शेरसूर नामक नगर बसाया।
> शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1/3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूल करती थी।
> कबूलियत एवं पट्टा प्रथा की शुरुआत शेरशाह ने की ।
> शेरशाह ने 1541 ई० में पाटलिपुत्र को पटना के नाम से पुनः स्थापित किया।
> शेरशाह ने ग्रैंड ट्रक रोड की मरम्मत करवायी ।
> मलिक मुहम्मद जायसी शेरशाह के समकालीन थे ।
> डॉक-[प्रथा का प्रचलन शेरशाह के द्वारा किया गया

अकबर (1542 -1605 ई०)

> सम्राट् अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 ई० को हमीदा बानू बेगम के गर्भ से अमरकोट के राणा वीर साल के महल में हुआ।
> अक्रवर का राज्याभिषेक 14 फरवरी, 1556 ई० को पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर हुआ।
> अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ ईरानी विद्वान था।
> वह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर वादशाही गाजी की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा।
> बैरम खाँ 1556 से 1560 ई० तक अकबर का संरक्षक रहा।

अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश

प्रदेश शासक वर्ष मुगल सेनापति
मालवा बाज बहादुर 1561 आदम खाँ, पीरमुहम्मद
चुनार अफ़गानों का शासन 1562 अब्दुल खाँ
गोंडवाना वीर नारायण एवं दुर्गावती 1564 आसफ खाँ स्वयं अधीनता
आमेर भारमल 1562 स्वीकार किया
मेड़ता जयमल 1562 सरफुद्दीन
मेवाड़ उदय सिंह एवं 1568 स्वयं अकबर
राणा प्रताप 1576 मानसिंह एवं आसफ खाँ
रणथम्भौर सूरजनहाडा 1569 भगवान दास एवं अकबर
कालिंजर रामचंद्र 1569 मजनू काकशाह
मारबाड़ राव चंद्रसेन 1570 स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी
जैसलमेर रावल हरि राय 1570 स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी
बीकानेर कल्याणमल 1570 स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी 
गुजरात मुजफ्फर खाँ 3 1571 खाने आजम सम्राट अकबर
बिहार एवं बंग दाऊद खाँ 1574-76 मुनीम  खाँ  खानखाना
काबुल हकीम मिर्जा 1581 मानसिक एवं अकबर
कश्मीर युसूफ याकूब खाँ 1586 भगवान दास एवं कासिम खाँ
उड़ीसा निसार खाँ  1592 मानसिंह
सिन्ध जानिबेग 1593 अब्दुर्ररहीम  खानखाना
बलूचिस्तान पन्नी अफगान 1595 मीर मासूम
कन्धार मुजफ्फर हुसैन 1595 शाहबेग

दक्षिण भारत

खानदेशअली खाँ1591स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी
दौलताबादचाँद बीबी1599मुराद, अब्दुर्रहीम खानखाना अब्दुल फजल अकबर
अहमदनगरबहादुर शाह चांदबीबी1600
असीरगढ़मीरन बहादुर1601अकबर (यह अकबर का अंतिम अभियान था)

> पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवम्बर, 1556 ई० को अकबर और हेमू के बीच हुई थी।
> मक्का की तीर्थ-यात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर मुबारक खाँ नामक युवक ने बैरम खाँ की हत्या कर दी
> मई, 1562 ई० में अकबर ने 'हरम-दल' से अपने को पूर्णतः मुक्त कर लिया।
> हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून, 1576 ई० को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप एवं अकबर के बीच हुआ। इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह एवं आसफ खाँ ने किया था।
> अकबर का सेनापति मान सिंह था।
> महाराणा प्रताप की मृत्यु 57 वर्ष की उम्र में 19 जनवरी, 1597 ई० में हो गयी।
> गुजरात-विजय के दौरान अकबस सर्वप्रथम पुत्त्तगालियों से मिला और यहीं उसने सर्वप्रथम समुद्र को देखा।
> दीन-ए-इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित अकबर था।
> दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अन्तिम हिन्दू शासक बीरबल था।
> अकबर ने जैनधर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरि को जगतगुरु की उपाधि प्रदान की थी।
> राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में प्रचलित थी।
> अकबर के दीवान राजा टोडरमल ने 1580 ई० में दहसाल बन्दोबस्त व्यवस्था लागू की।
> अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था।
> अकवर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार अव्दुससमद था।
> दसवंत एव बसावन अकबर के दरबार के चित्रकार थे।
> अकबर के शासनकाल के प्रमुख मायक तानसेन, बाजबहादुस्, बाबा रामदास एवं बैंजू बाबरे थे।
> अकबर की शासन-प्रणाली की प्रमुख विशेषता जमनसबदारी प्रथा थी।
>  अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सूफी सन्त शेख सलीम ए चिश्ती थे।
> अकबर की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1605 ई० को हुई। इसे आगरा के निकट सिकन्दरा में दफनाया गया।
> स्थापत्यकला के क्षेत्र में अकबर की महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हैं-दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा, आगरा का लालकिला, फतेहपुर सिकरी में शाहीमहल, दीवाने खास, पंचमहल, बुलद दरवाजा, जोधाबाई का महल, इबादत खाना, इलाहाबादं का किला और लाहौर का किला।

अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य :

कार्य वर्ष
दासप्रथा का अंत 1562
अकबर को हर्मदल से मुक्ति 1562
तीर्थयात्रा कर समाप्त 1563
जजिया-कर समाप्त 1564
फतेहपुरसीकरी की स्थापना एवम् राजधानी की आगरा से 
फतेपुर सीकरी स्थानांतरण  5171
इबादतखाने की स्थापना 1575
इबादतखाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति 1578
मज़हर की घोषणा 1579
दीं-ए-इलाही की स्थापना 1582
इलाही संवत की शुरुआत 1583
राजधानी लाहोर स्थानांतरित 1585

अरकवर के दरवार को सुशोभित करने वाले नौ रत्न इस प्रकार थे-

(i) बीरबल, (ii) अबुलफजल) टोडरमल, (iv) भगवान दास, (v) तानसेन, (vi) मानसिंह, (vii ) अब्दुर्रहीम खानखाना, (vii) मुल्ला दो प्याजा,  (ix) हकीम हुकाम।

> अबुल-फजल का बड़ा भाई फैजी अकबर के दरबार में राजकवि के पद पर आसीन था।
> अबुल-फजल ने अकबरनामा ग्रंथ की रचना की । वह दीन-ए-इलाही धर्म का मुख्य पुरोहित था ।
> बीरबल के बचपन का नाम महेश दास था।
> संगीत सम्राट् तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था। इनकी प्रमुख कृतियाँ थीं-मियाँ की टोड़ी, मियाँ का मल्हार, मियाँ का सारंग आदि ।
> कण्ठाभरण वाणीविलास की उपाधि अकबर ने तानसेन को दी थी।
> अकबर ने भगवान दास (आमेर के राजा भारमल के पुत्र) को अमीर-ऊल-ऊमरा की उपाधि दी।
> युसफजाइयों के विद्रोह को दबाने कं दौरान बीरबल की हत्या  हो गई
> 1602 ई० में सलीम (जहाँगीर) के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की और आ रहे  अबुल फजल को रास्ते में वीर सिंह बुंदेला नाम सरदार ने हत्या कर दी
> मुगल सम्राट् अकबर ने 'अनुवाद विभाग' की स्थापना की। नकीब खाँ, अब्दुल कादिर बदायूंनी तथा शेख सुल्तान ने रामायण एवं महाभारत का फारसी अनुवाद किया व महाभारत का नाम 'रज्मनामा' (युद्धों की पुस्तक) रखा।
> पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर-ए-सादात नाम से तथा मौलाना हुसैन फैज ने यार-ए-दानिश नाम से किया। हाजी इब्राहिम सरहदी ने अथर्ववेद का, मुल्लाशाह मोहम्मद ने राजतरंगिणी का, अब्दुर्रहीम खानखाना ने 'तुजुक-ए-बाबरी' का तथा फैजी ने लीलावती का फारसी में अनुवाद किया। फैजी ने नल दमयन्ती (सूरदास द्वारा रचित) कथा का फारसी में अनुवाद कर उसका नाम 'सहेली' रखा।
> अकबर के काल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है।
> अकबर ने बीरबल को कविप्रिय एवं नरहरि को महापात्र की उपाधि प्रदान की।
> बुलन्द दरवाजा का निर्माण अकबर ने गुजरात-विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।
> चार बाग बनाने की परंपरा अकबर के समय शुरु हुई।
> अकबर ने शीरी कलम की उपाधि अब्दुसंसमद को एवं जड़ी कलम की उपाधि मुहम्मद हुसैन कश्मीरी को दिया।

नोट: मुगलों की राजकीय भाषा फारसी थी

जहांगीर (1605-1627) ईo

> अकबर का उत्तराधिकारी सलीम हुआ, जो 24 अक्टूबर, 1605 ई० को नूरुद्दीन मुठ्ठमद जहाँगीर बादशाही गाजी की उपाधि धारण कर गद्दी पर वैठा।
> जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त, 1569 ई० में हुआ था।
> अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम सफी संत शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा ।
> जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता है। यह जंजीर सोने की बनी थी जो आगरे  के किले के शाहबुर्ज एवं यमुना तट पर स्थित पत्थर के खम्भे में लगवाइ हुई थी।
> जहांगीर द्वारा शुरू की गई 'तुजुके-ए-जहाँगीरी नामक आत्मकथा को पूरा करने का श्रैय मौतिबिंद खां को है।
> जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरो ने 1606 ई० में अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। खुसरों और जहाँगीर की सेना के बीच युद्ध जालंधर के निकट भैरावल नामक मदान में हुआ। खुसरो को पकड़कर कैद में डाल दिया गया।
> खुसरो की सहायता देने के कारण जहाँगीर ने सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुनदेव को फांसी दिलवा दी। खुसरो गुरु से गोइंदवाल में मिला था।
> अहमदनगर के वजीर मलिक अम्बर के विरुद्ध सफलता से खुश होकर जहाँगीर ने खुर्रम को शाहजहाँ की उपाधि प्रदान की।
> 1622 ई० में कंधार मुगलों के हाथ से निकल गया। शाह अब्बास ने इस पर अधिकार कर लिया।

> नूरजहाँ : ईरान निवासी मिर्जा गयास बेग की पुत्री नूरजहाँ का वास्तविक नाम मेहरुन्निसा था। 1594 ई० में नूरजहाँ का विवाह अलीकुली बेग से सम्पन्न हुआ। जहाँगीर ने एक शेर मारने के कारण अली कुली वेग को शेर अफगान की उपाधि प्रदान की। 1607 ई० में शेर अफगान की मृत्यु के बाद मेहरून्निसा अकबर की विधवा सलीमा बेगम की सेवा में नियुक्त हुई। सर्वप्रथम जहाँगीर ने नवरोज त्योहार के अवसर पर मेहरुन्निसा को देखा और उसके सौंदर्य पर मुग्ध होकर जहाँगीर ने मई, 1611 में उससे विवाह कर लिया। विवाह के पश्चात् जहाँगीर ने उसे नूरमहल एवं नूरजहाँ की उपाधि प्रदान की। नूरजहाँ के सम्मान में जहाँगीर ने चाँदी के सिक्के जारी किए।

> जहाँगीर ने गियास बेग को शाही दीवान बनाया एवं इतमाद उद.दौला की उपाधि दी।
> लाडली बेगम शेर अफगान एवं मेहरुन्निसा की पुत्री थी, जिसकी शादी जहाँगीर के पुत्र शहरयार के साथ हुई थी।
> नूरजहाँ की माँ अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि खोजी थी ।
> महावत खाँ ने झेलम नदी के तट पर 1626 ई० में जहाँगीर, नूरजहाँ एवं उसके भाई आसफ खाँ को बन्दी बना लिया था।

> जहाँगीर के पाँच पुत्र थे-
(1) खुसरो, (2) परवेज, (3) खुर्रम, (4) शहरयार, (5) जहाँदार |।

> 28 अक्टूबर, 1627 ई० को भीमवार नामक स्थान पर जहाँगीर की मृत्यु हो गयी उसे शहादरा (लाहौर) में रावी नदी के किनारे दफनाया गया।
> मुगल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर जहाँगीर के शासनकाल में पहुँची।
> जहाँगीर के दरबार के प्रमुख चित्रकार थे-आगा रजा, अबुल हसन, मुहम्मद नासिर, मुहम्मद मुराद, उस्ताद मंसूर, विशनदास, मनोहर एवं गोवर्धन, फारुख बेग, दौलत।
> जहाँगीर ने आगा रजा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रणशाला की स्थापना की।

> उस्ताद मंसूर एवं अबुल हसन को जहाँगीर ने क्रमशः नादिर-अल-उस एवं नादिरुज्जमा की उपाधि प्रदान की।

> जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि कोई भी चित्र चाहे वह किसी मृतक व्यक्ति या जीवित व्यक्ति द्वारा बनाया गया हो, मैं देखते ही तुरन्त बता सकता हूँ कि यह किस चित्रकार की कृति है। यदि किसी चेहरे पर आँख किसी एक चित्रकार ने, भौंह किसी और ने बनाई हो, तो भी यह जान लेता हूँ कि आँख किसने और भौंह किसने बनायी है।
> जहाँगीर के समय को चित्रकलाू का स्वर्णकाल कहा जाता है।
> इतमाद उद-दौला का मकबरा 1626 ई० में नूरजहाँ बेगम ने बनवाया। मुगलकालीन वास्तुकला के अन्तर्गत निर्मित यह प्रथम ऐसी इमारत है, जो पूर्णरूप से बेदाग सफेद संगमरमर से निर्मित है। सर्वप्रथम इसी इमारत में त्रदूरा नामक जड़ाऊ काम किया गया
> अशोक के कौशाम्बी स्तम्भ (वर्तमान में प्रयाग) पर समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति तथा जहाँगीर का लेख उत्कीर्ण है ।
> जहाँगीर के मकबरा का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया था।
> जहाँगीर के शासनकाल में कैप्टन हॉकिन्स, सर टॉमस रो, विलियम फिंच एवं एडवर्ड टैरी जैसे यूरोपीय यात्री आए थे।

शाहजहाँ (1627 -1657 ई०)

> जहाँगीर के बाद सिंहासन पर शाहजहाँ बैठा।
> जोधपुर के शासक मोटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से 5 जनवरी, 1592 ई० को खुर्रम (शाहजहाँ) का जन्म लाहौर में हुआ था । 1612 ई० में खुर्रम का विवाह आसफ खाँ की पुत्री अरजुमन्द बानो बेगम से हुआ, जिसे शाहजहाँ ने मलिका-ए-जमानी की उपाधि प्रदान की। 7 जून, 1631 ई० में प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गयी।
> 4 फरवरी, 1628 ई० को शाहजहाँ आगरे में अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी की उपाधि प्राप्तकर सिंहासन पर बैठा।
> शाहजहाँ ने आसफ खाँ को वर्जीर पद एवं महावत खाँ को खान खाना की उपाधि प्रदान की।
> इसने नूरजहाँ को दो लाख रु० प्रतिवर्ष की पेंशन देकर लाहौर जाने दिया, जहाँ 1645 ई० में उसकी मृत्यु हो गयी।
> अपनी बेगम मुमताज महल की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण आगरे में उसकी कब्र के ऊपर करवाया ।
> ताजमहल का निर्माण करनेवाला मुख्य स्थापत्य कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था ।
> मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था। इसका मुख्य कलाकार वे बादल खाँ था।
> शाहजहाँ के शासनकाल को स्थापत्यकला का स्वर्णयूग कहा जाता है। शाहजहाँ द्वारा बनूवायी गयी प्रमुख इमारतें हैं-दिल्ली का लालकिला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली जामा मस्जिद, आगरा मोती मस्जिद, ताजमहल आदि।
> शाहजहाँ ने 1638 ई० में अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली लाने के लिए वमुना नदी के दाहिने तट पर शाहजहाँनाबाद की नींव डाळी।
> आगरे के जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ की पूत्री जहाँआरा ने करवाई
> शाहजहाँ के दरबार के प्रमुख चित्रकार मुहम्मद फकीर एवं मीर हासिम थे।
> शाहजहाँ ने संगीतज्ञ लाल खाँ को 'गुण समन्दर' की उपाधि दी थी
> शाहजहाँ के पुत्रों में दाराशिकोह सर्वाधिक विद्वान था । इसने भगवद्गीता योगवशिष्ट, उपनिषद एवं रामायण का अनुवाद फारसी में करवाया । इसने सर्र-ए-अकबर (महान रहस्य) नाम से उपनिषदों का अनुवाद करवाया था। दारा शिकोह कादिरी सिलसिले के मूल्ला शाह बदख्सी का शिष्य था।
> शहजहाँ ने दिल्ली में एक कॉलेज का निर्माण एवं दारुल  बका नामक कॉलेज की मरम्मत करायी।
> सितम्बर, 1657 ई० में शाहजहाँ के गंभीर म्हूप से बीमार पड़ने और मृत्यु का अफवाह फैलने के कारण उसके पुत्रों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध प्रारंभ हुआ। उस समय शूजा बंगाल, मुराद गुजरात एवं औरंगजेब दक्कन में था।
> 15 अप्रैल, 1658ई० में दारा एवं औरंगजेब के ब्रीच धरमट का युद्ध हुआ। इस युद्ध में दारा की पराजय हुई।
> सामूगढ़ का युद्ध 29 मई, 1658 ई को दारा एवं औरंगजेब के बीच हुआ। इस युद्ध में भी दारा की हार हुई। उत्तराधिकार का अन्तिम युद्ध देवराई की घाटी में मार्च, 1659 ई० का हुआ। इस युद्ध में दारा के पराजित होने पर उसे इस्लाम धर्म की अवहेलना करने के अपराध में 30 अगस्त, 1659 ई० को हत्या कर दी गई।
> शाह बुलद इकबाल (king of Lofty fortune) के रूप में दारा शिकोह जाना जाता है।
> ৪ जून, 1658 ई० को औरंगजेब ने शाहजहाँ को बंदी बना लिया। आगरे के किले में अपने कैदी जीवन के आठवें वर्ष अर्थात 22 जनवरी, 1666 ई० को 74 वर्ष की अवस्था में शाहजहाँ की मृत्यु हो गयी।

औरंगजेब (1658 - 1707 ई०)

> औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर, 1618 ई० को दोहाद (गुजरात) नामक स्थान पर हुआ था
> औरंगजेब के बचपन का अधिकांश समय नरजहाँ के पास बीता। 18 मई, 1637 इ० की फारस के राजघराने की 'दिलरास बानो बेगम' के साथ औरंगजेब का निकाह हुआ ।
> आगरा पर कब्जा कर जल्दबाजी में औरंगजेब ने अपना राज्याभिषेक 'अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मुजफ्फर औरंगजेब वहादुर आलमगीर' की उपाधि से 31 जुलाई, 1658 को करवाया। देवराई के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मरई, 1659 को औरंगजेब ने दिल्ली में प्रवेश किया और शाहजहाँ के शानदार महल में 5 जून. 1659 को दूसरी बार राज्याभिषेक करवाया ।
> औरंगजेब के गुरु थे-मीर मुहम्मद हकीम ।
> औरंगजेब सुन्नी धर्म को मानता था, उसे जिन्दा पीर कहा जाता था ।
> जय सिंह एवं शिवाजी के बीच पुरन्दर की संधि 22 जून, 1665 ई० को सम्पन्न हुई।
> मई, 1666 ई० को आगरे के किले के दीवाने आम में औरंगजेब के समक्ष शिवाजी उपस्थित हुए। यहाँ शिवाजी को कैद कर जयपुर भवन में रखा गया।
> इस्लाम नहीं स्वीकार करने के कारण सिक्खों के 9वें गुरु तेगबहादुर की हत्या औरंगजेब ने 1675 में दिल्ली में करवा दी थी।
> औरंगजेब ने 1679 ई० में जाजिया-कर को पुनः लागू किया।
> औरंगजेब ने बीबी का मकबरा का निर्माण 1679 ई० में औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में करवाया।
> 1686 ई० में बीजाफुर एवं 1697 में गोलकुण्डा को औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
> मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राह्मणों का संबंध गोलकुण्डा के शासक अबुल हसन से था ।
> औरंगजेब के समय हुए जाट विद्रोह का नेतृत्व गोकुला एवं राजाराम ने किया था । 1670 ई० में तिलपत की लड़ाई में जाट परास्त हुए। गोकुल को मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बावजूद जाटों ने 1685 ई० में

राजाराम के नेतृत्व में पुनः विद्रोह किया। इन जाटों ने सिकन्दरा में स्थित अकबर के मकबरे को भी लूटा । भरतपुर राजवंश की नींव औरंगजेब के शासनकाल में जाट नेता एवं राजाराम के भतीजा चूरामन ने डाली ।

> औरंगजेब के समय में हिन्दू मनसबदारों की संख्या लगभग 337 थी, जो अन्य मुगल सम्राटों की तुलना में अधिक थी।
> औरंगजेब का पुत्र अकबर ने दुर्गादास के बहकावे में आकर अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया।
> औरंगजेब ने कुरान को अपने शासन का आधार बनाया। इसने सिक्के पर कलमा खुदवाना, नवरोज का त्योहार मनाना, भाँग की खेती करना, गाना-बजाना, झरोखा दर्शन, तुलादान प्रथा (इस प्रथा में सम्राट को उसके जन्म दिन पर सोने, चाँदी तथा अन्य वस्तुओं से तौलने की प्रथा थी। यह अकबर के जमाने में प्रारंभ हुई थी।) आदि पर प्रतिबंध लगा दिया।
> औरंगजेब ने दरबार में संगीत पर पाबन्दी लगा दी तथा सरकारी संगीतज्ञों को अवकाश दे दिया गया। भारतीय शास्त्रीय संगीत पर फारसी में सबसे अधिक पुस्तकें औरंगजेब के ही शासनकाल में लिखी गई औरंगजेव स्वयं वीणा बजाने में दक्ष था।
> औरंगजेब ने 1665 ई० में हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया। इसके शासनकाल में तोड़े गए मंदिरों में सोमनाथ का मंदिर, बनारस का विश्वनाथ मंदिर एवं वीर सिंह देव द्वारा जहाँगीर काल में मधुरा में निर्मित केशव राय मंदिर थे।
> औरंगजेब की मृत्यु 20 फरवरी, 1707 ई० को हुई। इसे खुलदाबाद (Khuldabad) जो अब रोजा (Roza) कहलाता है में दफनाया गया। औरंगजेब के समय सूबों की संख्या 20 थी।
> औरंगजेब दारुल हर्ब (काफिरों का देश) को दारुल इस्लाम (इस्लाम का देश) में परिवर्तित करने को अपना महत्त्वपूर्ण लक्ष्य मानता था ।

नोट : औरगजेब के शासन काल में मुगल सेना में सर्वाधिक हिन्दू सेनापति थे।

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