Thursday 9 April 2020

भारत का इतिहास :- ब्राह्मण साम्राज्य

ब्राह्मण साम्राज्य

> पुष्यमित्र शुंग, जिसने मगध पर शुंग वंश की नींव डाली, ब्राह्मण जाति का था ।
> शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की ।
> इण्डो-यूनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित किया।
> पुष्यमित्र शुंग ने दो बार अश्वमेध यज्ञ किया इनके लिए पतंजलि ने अश्वमेध यज्ञ कराए।
> भरहूत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया।
> शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था । इसकी हत्या 73 ई० पू० में वासुदेव ने कर दी और मगध की गद्दी पर कण्व वंश की स्थापना की।
> कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा हुआ।
> शिमुक ने 60 ई० पू० में सुशर्मा की हत्या कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की।
> सातवाहन (आन्ध्र वंश) शासकों ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठान में स्थापित की। (प्रतिष्ठान आन्ध्र प्रदेश के औरंगाबाद जिले में हैं।)
> सातवाहन वंश के प्रमुख शासक थे सिमुक, शातकर्णि, गौतमी पुत्र शातकर्णि, वशिष्ठीपुत्र, पुलुमावी तथा यज्ञश्री शातकर्णि।
> शातकर्णि ने दो अवश्मेध तथा एक राजसूय यज्ञ किया
> सातवाहन शासकों के समय के प्रसिद्ध साहित्यकार हाल एवं गुणाढ्य थे।
> हाल ने गाया सप्तशतक तथा गुणाद्य ने वृहत्कथा नामक पुस्तकों की रचना की ।
> सातवाहन शासकों ने चाँदी, ताँबे, सीसा, पोटीन और काँसे की मुद्राओं का प्रचलन किया।
> ब्राह्मणों को भूमि-अनुदान देने की प्रथा का आरंभ सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम किया
> सातवाहनों की भाषा प्राकृत एवं लिपि व्राह्मी थी।
> सातवाहनों का समाज मातृसत्तात्मक था।
> सातवाहनों की महत्त्वपूर्ण स्थापत्य कृतियाँ हैं - कार्ले का चैत्य, अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण एवं अमरावती कला का विकास| शातकर्णि एवं अन्य सभी सातवाहन शासक दक्षिणापथ के स्वामी कहे जाते थे।

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