Saturday 18 January 2020

2019 में विज्ञान के क्षेत्र में दर्ज हुई वे घटनाएं!

पढ़िए 2019 में विज्ञान के क्षेत्र में दर्ज हुई वे घटनाएं, जो पृथ्वी और मानव का भविष्य तय करने वाली साबित हुई 

इस वर्ष हमने एक टेराबाइट का एसडी कार्ड बनाया, लेकिन 10 लाख जीवों को विलुप्ति की कगार पर भी पाया। एक ओर जहां गूगल ने चर्म रोग विशेषज्ञों के जैसा काम करने वाला प्रोग्राम तैयार किया तो वहीं लंदन से बड़े आकार का अंटार्कटिका का एक हिस्सा भी पृथ्वी ने खो दिया। साल 2019 में जो कुछ हुआ, उसे बरसों याद रखा जाएगा। हम आप भी इन वैज्ञानिकों उपलब्धियाों और साथ-साथ पृथ्वी के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में मिली नाकामियों को याद रखते हुए बेहतर भविष्य निर्माण के बारे में सोचें, इस गुजरते साल में यही संदेश छिपा है।

पृथ्वी की सबसे बूढ़ी चट्टान मिली... लेकिन चंद्रमा पर

नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि पृथ्वी की सबसे बूढ़ी चट्टान की उम्र 400 करोड़ वर्ष है। खास बात, इसे चंद्रमा पर पाया गया। दरसअल 1971 में नासा के चंद्र मिशन अपोलो 14 में गए अंतरिक्ष यात्री अपने साथ कुछ चट्टान के टुकड़े लाए थे। अब इनकी जांच हुई तो उनमें क्वाट्ट्स, फेल्डस्पर और जिन जैसे खनिज मिले जो चंद्रमा पर नहीं होते। इनसे यह सिद्धांत भी पुख्ता हुआ कि कोई धूमकेतू या उल्का उस समय पृथ्वी से टकराई थी, जिससे यह चट्टानें पृथ्वी से छिटक कर अंतरिक्ष में पहुंचीं। कुछ टुकड़े चंद्रमा पर गिरे, जो 400 करोड़ वर्ष पूर्व आज के मुकाबले पृथ्वी के तीन गुना करीब था। अंतरिक्ष में 533 दिन रहकर लौटे पृथ्वी के जीव पृथ्वी पर उत्पन्न कुछ जीवों ने बिना विशेष आवरण अंतरिक्ष के कठोर हालात और रेडिएशन झेले। 18 महीने बाद ये सर्वाइवर के रूप में पृथ्वी पर लौटे। जर्मन एयरोस्पेस सेंटर के वैज्ञानिकों ने 2014 से 2016 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के बाहर मंगल ग्रह जैसी मिट्टी में रखे बैक्टीरिया, फंगस, शैवाल व आर्किया पर किए प्रयोग के आधार पर यह घोषणा की। इन जीवों ने खतरनाक सौर रेडिएशन, कम गुरुत्वाकर्षण व ऑक्सीजन, धूल व सुखे माहौल को 533 दिन सहा। पृथ्वी पर 308 करोड़ वर्षों से मौजूद ये जीव अंटार्कटिका, एल्पस पहाड़ों, हमेशा बर्फ में दबे वातावरण से जमा किए गए थे।


पहला एक टीबी का एसडी कार्ड

कैमरे, मोबाइल फोन या टेबलेट में फोटो, वीडियो व अन्य चीजें स्टोर करते-करते पता नहीं चलता कि उनमें दी गई 32, 64, 128 या 256 गीगा बाइट जगह कब भर गई। स्टोरेज की मांग को पूरा करने की तकनीक एक 9 जनवरी टेराबाइट का सिक्युर डिजिटल (एसडी) कार्ड के रूप में बनाई गई। लेक्सर कंपनी द्वारा बनाए इस कार्ड से 95 एमबी प्रति सेकंड की रफ्तार है। मे डाटा ट्रांसफर हो सकता


तोता पहलवान

एक मीटर था साइज जीव विज्ञानियों ने न्यूजीलैंड में मिले एक जीवाश्म के आधार पर बताया कि करीब दो करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी पर 'हेराक्लीस इंस्पेक्टेटस' यानी पहलवान तोते भी हुआ करते थे। करीब एक मीटर ऊंचे और सात किलो वजनी इन तोतों का आकार आज के किसी भी तोते से बहुत बड़ा था। दुर्भाग्य से इसी बड़े आकार की वजह से वे उड़ नहीं सकते थे।


72 हजार किमी करीब से गुजरी तबाही, एक दिन पहले ही खोजी गई थी

विज्ञान ने अब भी हमारी पृथ्वी पर आने वाले खतरों के बारे में वाजिब समय पर सचेत करने जितनी तरक्की नहीं की है। पृथ्वी से केवल 72 हजार किमी की दूरी से '2019 ओके' नामक एक उल्का गुजरी। इसका आकार करीन 130 मीटर का था। पृथ्वी के इतने करीब किसी उल्का के आने की यह दुर्लभ घटना थी। इसकी खोज ही एक दिन पहले उस समय हुई जब यह पृथ्वी से केवल 15 लाख किमी दूर रह गई थी। पृथ्वी के निकट आने की इसकी गति 588, 500 किमी प्रति घंटा थी। अगर यह पृथ्वी से टकरा जाती तो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बमों से तीस गुना ज्यादा ऊर्जा पैदा होती। इससे मानव, प्रकृति और पर्यावरण, सभी को काफी नुकसान होता। प्रेस ने इसे 'सिटी किलर' का नाम दिया, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार असल नुकसान 100 शहरों की बर्बादी के बराबर होता।


कंप्यूटर पर फैला 20 साल पुराना प्लेग

iTunesHelper    "C:\Program Files\
VMwareTray      C:\Program Files\\
VMwareUser     C:\Program Files\\
ctfmon               C:\WINDOWS\sys

दुनिया में बहुसंख्या में उपयोग हो रहे माइक्रोसॉफ्ट के कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम में 20 साल पुराना बग 'सीटीएफ' सामने आया। इसने माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 10 तक को अपनी चपेट में ले लिया। इस बग के जरिए किसी भी कंप्यूटर के पूरे सिस्टम पर नियंत्रण किया जा सकता था। पकड़ में आने के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने पैच अपडेट जारी किया।


ब्लैक होल की पहली तस्वीर

एवर्टन होराइजन टेलीस्कोप के वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी की। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह पृथ्वी से 5.4 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर स्थित मैसियर 87 नामक आकाशगंगा में है। घनत्व सूर्य से 605 करोड़ गुना ज्यादा है, जिसकी वजह से प्रकाश भी इसकी ओर मुड़ जाता है। वैज्ञानिकों ने यह तस्वीर आठ अलग-अलग रेडियो टेलीस्कोप के नेटवर्क के जरिए तैयार की। क्या है ब्लैक होल अंतरिक्ष में ब्लैक होल ऐसे स्थान होते हैं, जो अपने आसपास मौजूद सभी पिंड, ग्रह, धूरमकेत, तारे, आदि को अपने गुरुत्वाकर्षण बल से निगलते जाते हैं। प्रकाश भी इनसे परावर्तित होकर नहीं लीटता, इसलिए इन्हें देखा भी नहीं जा सकता। केवल इनकी और जा रहे तत्वों से उत्पन्न गर्मी से बनी चमक मे इनके वहां होने का अनुमान लगाया जाता है।


चंद्रमा के मामले में बृरहस्पति से आगे निकला शनि

शनि ग्रह के 20 नए चंद्रमा की खोज स्कॉट एस शेफर्ड और कार्नेगी विज्ञान संस्थान की टीम ने की। अब हमारे सौर मंडल में सबसे अधिक 82 चंद्रमा के साथ शनि ने बृहस्पति ग्रह को पीछे छोड़ दिया है। बृहस्पति के 79 प्राकृतिक चंद्रमा हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि शनि के ये नए चंद्र खुद शनि से नहीं बने, बल्कि बाहरी तत्वों से इनका निर्माण हुआ। संभव है निकट से रहे तत्वों को शनि ने अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी ओर खींच लिया|


स्मार्ट कृत्रिम हाथ...जो आपसे ही सीखेगा, कैसे करना है काम

स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीलॉजी के वैज्ञानिकों ने स्मार्ट कृत्रिम हाथ बनाया। इसे व्यक्ति व रोबोटिक नियंत्रण से चलाय और दिमाग से नियंत्रित किया जा सकता है। मुठ्ठी बाँधना, खोलना पंजा बंद करना चीजों को उठाना, रखना, फिसलने से रोकना, आदि निर्णय 420 मिलीमेकड में कर सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी मांसपशियों की दिमाग़ से मिलने वाले सिग्नल कुछ कपन करते हैं। जिनका उपयोग कर मशीन लर्निग औटोमेशान से इस हाथ को जटिल काम के योग्य बनाया गया।

गूगल ने तैयार किया त्वचा रोग चिकित्सक

गूगल ने बताया कि उसने ऐसा डीप लर्निंग सिस्टम (डीएलएस) तैयार किया है, जिसने 50 हजार प्रकार की जांच और विश्लेषण करना सीखा है। यह सिस्टम 26 तरह की त्वचा से जुड़ी समस्याओं को भी पकड़ सकता है। ठीक वैसे ही जैसे कोई चर्मरोग विशेषज्ञ पकड़ता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित यह सिस्टम तस्वीरों और मरीज से मिली जानकारियों पर काम करता है।


कैवियसफाइरा जो न जीव था, न निर्जीव

पृथ्वी पर कुछ ऐसी भी चीजें थीं जो न जीव थीं, न निर्जीव। नानजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी एंड पेलियनटॉलॉजी और ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी ने दक्षिण चीन में मिली 60.9 करोड़ वर्ष पुरानी एक चट्टान का अध्ययन कर यह रिपोर्ट दी है। यहां के वैज्ञानिकों के अनुसार इस चट्टान पर आधे मिलीमीटर के 'कैवियसफाइरा' के जीवाश्म मिले हैं। यह कई कोशिकाओं से बना था, लेकिन यह न जीव था, न निर्जीव की श्रेणी में इसे रखा जा सकता है। यह किसी स्टारफिश या कोरल के भ्रूण जैसा था, जो कभी वयस्क नहीं होता था। इस खोज को एक कोशिका वाले जीवों से जटिल जीवों के विकास की कड़ी समझा जा रहा है।

दुनिया की 'शुरुआत' कभी हुई ही नहीं

जिम पीबल्स भौतिकी का नोबल पुरस्कार ৪4 साल के जिम ने 2019 में नोबल पुरस्कार प्राप्त करते हुए दिया वक्तव्य पुरस्कार समारोह में जिम पीबल्स ने साफ तौर पर कहा कि दुनिया की शुरुआत किसी एक क्षण से हुई हो, ऐसा कोई सिद्धांत आज तक साबित नहीं हुआ है। उन्होंने 'बिग बैंग थियोरी' को भी पूरी तरह नकारते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज कुछ लोग इसमें विश्वास करते हैं, या मानते हैं कि दुनिया की शुरुआत जैसी भी कोई चीज हुई थी।


1636 वर्ग किमी का हिस्सा अंटार्कटिका से टूटा

अंटार्कटिका पर मौजूद एमरी आई शेल्फ का 1636 वर्ग किमी आकार का 210 मीटर गहरा हिस्सा टूट कर अलग हो गया। क्षेत्रफल में यह वृहद लंदन से भी बड़ा और वजन में 3.15 लाख टन था। इस दिन जलवायु परिवर्तन पर बने विभिन्न सरकारों के पैनल ने अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि वर्ष 2100 तक समुद्र का जलस्तर 1.1 मीटर बढ़ जाएगा। ऐसा हुआ तो दुनिया के कई तटीय शहर डूब जाएंगे। जीवन खत्म होने की रपतार हुई तेज वैज्ञानिकों ने करीब 14 साल के अंतराल पर जैव-विनिधता और जैव-पर्यावरण पर सरकारों के बीच बनी विज्ञान नीति रिपोर्ट जारी की, जिसके अनुसार पृथ्वी के 10 लाख से अधिक जीव लुप्त होने की कगार पर हैं। यही नहीं, पृथ्वी से जीवन खत्म होने की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है, जितनी पहले कभी नहीं थी। इसकी सबसे बड़ी वजह मानवीय गतिविधियों को करार दिया गया।


मंगल ग्रह पर खत्म हुआ अपॉचुनिटी

मंगल ग्रह पर खोजबीन के लिए 25 जनवरी 2004 को उतरे रोवर अपॉर्चुनिटी ने 5111 सोल (मंगल दिवस एक मंगल दिवस हमारे 24:39 घटे बराबर) काम करने के बाद अपना मिशन पूरा किया। नासा ने इसकी आधिकारिक 10 अप्रैल घोषणा की। उसने मंगल पर अपनी तय उम्र से 55 गुना ज्यादा काम किया, 45:16 किमी नाप डाले, मंगल सतह पर उल्काओं की खोज भी की। लेकिन जून 2018 में पूरे ग्रह को आगोश में लेने वाला रात का तूफान आया और अपॉचीनिटी से संपर्क टूट गया। अनुमान है कि उसके सोलर पैनल पर रात का मोटी परत जमा हो गई थी, जिससे वह बिजली नहीं बना सका। एक हजार सिग्नल भजन पर भी संपर्क नहीं हुआ। अपार्चुनिटी रोबर वैसे तो एक मशीन ही था, लेकिन सोशल माडिया पर उसके जाने की खबर पर काफी दुख जताया गया।

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