Monday 20 January 2020

रूडयार्ड का मोगली

रूडयार्ड का मोगली

Rudyard Kipling (रुडयार्ड किपलिंग)
जन्म - ३० दिसंबर, १८६५
म्रत्यु - १८ जनवरी, १९३६
रूडयार्ड ने जब मोगली के जीवन को कागज पर उतारा था, तब उन्होंने भी नहीं सोचा था कि मोगली इतना लोकप्रिय हो जाएगा।


जंगल-जंगल बात चली है पता चला है, अरे चड़ढी पहन के फूल खिला है, फूल खिला है...। टीवी पर कई बार तुमने यह गाना सुना होगा। इस गाने ने लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड पार कर दिए थे। यह तो तुम जानते ही होगे कि इस गाने को मोगली पर फिल्माया गया है। अगर मोगली नहीं होता, तो यह गाना भी नहीं बनता। 

आखिर कहां से आया मोगली, क्या तुम बता सकते हो? मशहूर ब्रिटिश लेखक और कवि रुडयार्ड किपलिंग ने मोगली के जीवन को कागज पर उतारा था। बंबई (ब्रिटिश भारत) में जन्में रुडयार्ड बच्चों की कहानियों के लिए सबसे प्रसिद्ध हुए, जिसमें पुस्तक 'द जंगल बुक (कहानियों का संग्रह, जिसमें रिक्की-टिक्की-टावी भी शामिल है) के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। उनके पिता जॉन लॉकवुड किपलिंग मूर्तिकार तथा पॉटरी डिजाइनर थे। मां का नाम एलिस किपलिंग था। कहते हैं कि दोनों इंग्लैंड के एक झील रुडयार्ड के किनारे मिले थे उसी कीयाद में उन्होंने अपने बेटे का नाम रुडयार्ड किपलिंग रख दिया। 

पांच वर्ष की उम्र में रुडयार्ड को उनकी तीन वर्षीय बहन के साथ पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया वहां दोनों अपने माता पिता से दूर एक दंपत्ति के पास रहे वहां 7 वर्ष तक पढ़ाई करने के बाद वे भारत लौट आए हालांकि, रुडयार्ड वहीं आगे की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा हो न सका। उनके पिता ने लाहौर में रुडयार्ड को नौकरी दिलवा दी उन्हें शिमला बहुत पसंद था। वे हर साल छुट्टियां बिताने वहां जाते थे। 



रुडयार्ड सिर्फ 13 वर्ष की उम्र से ही कविताएं लिखने लगे थे। माना जाता है कि रुडेयार्ड को भारत के जंगलों में सैर करने का खूब मौका मिला था। उसी दौरान एक फारेस्ट रेंजर ने उन्हें एक बालक के शिकार करने की क्षमताओं के बारे में बताया। दरअसल, वह बच्चा जंगली जानवरों के बीच रहकर, ऐसा बना था। इसी कहानी को सुनकर रुडयार्ड को जंगली जानवरों के बीच रहने वाले एक लड़के के बारे में लिखने की प्रेरणा मिली। उन्होंने मोगली को अपनी कल्पनाओं में बसाया और 'द जंगल बुक' में उन सभी जानकारियों को आधार बनाकर बच्चों के लिए कई कहानियां लिख डालीं। पहले मोगली को एक सुनी-सुनाई कहानी के तौर पर जाना गया, बाद में रुडयार्ड की किताब ने इसे पहचान दिलाई। इनमें से सबसे अधिक प्रसिद्ध तीन कहानियां हैं, जो मोगली के कारनामों का वर्णन करती हैं। 1907 में उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया











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